इच्छा मृत्यु मामले में न्यायालय की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए इच्छा मृत्यु को इजाजत दे दी है मगर यह इजाजत कुछ शर्तों के साथ दी गई. इच्छा मृत्यु (लिविंग विल) को सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता देते हुए कहा कि सम्मान से मरने का पूरा हक है.आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लिविंग विल एक लिखित दस्तावेज होता है जिसमें मरीज पहले से ही यह निर्देश देता है कि मरणासन्न स्थिति में पहुंचने या रजामंदी ना दे पाने की हालत में उसे किस तरह का इलाज दिया जाए. ‘पैसिव यूथेनेसिया’ इच्छा मृत्यु ऐसी स्थिति होती है जब किसी मरणासन्न व्यक्ति की मौत की तरफ बढ़ाने की मंशा से उसे इलाज देना किया जाता है. इस मामले को पिछले साल नकार दिया गया था मगर आज इस मामले पर एक बड़ा और नया फैसला आया है.
पिछली सुनवाई में संविधान पीठ ने कहा था कि ‘राइट टू लाइफ’ में गरिमापूर्ण जीवन के साथ-साथ गरिमामय ढंग से मृत्यु का अधिकार भी शामिल है’ ऐसा हम नहीं कहेंगे। हालांकि पीठ ने आगे कहा कि हम ये जरूर कहेंगे कि गरिमापूर्ण मृत्यु पीड़ा रहित होनी चाहिए। बता दें कि एक एनजीओ ने लिविंग विल का अधिकार देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उसने सम्मान से मृत्यु को भी व्यक्ति का अधिकार बताया था।
क्या होता है लिविंग विल
लिविंग में कोई भी व्यक्ति अपने जिंदा रहते समय वसीयत कर सकता है कि लाइलाज बीमारी से ग्रस्त होने पर मरणासन्न की स्थिति में उसे जीवन रक्षक उपकरणों में ना रखा जाए.
केंद्र केंद्र का कहना है कि अगर कोई लिविंग बिल करता भी है तो मेडिकल बोर्ड की राय के आधार पर जीवन रक्षक उपकरण हटाए जाएंगे. जिससे इसका दुरूपयोग ना किया जाए.