एक इंजीनियर की सोच पर कुछ मूर्खों की हंसी

दोस्तों आज इंजीनियर्स डे है और हिंदुस्तान के महान इंजीनियर भारत रत्न सम्मानित मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या की महान उपलब्धियों के कारण ही हम उनके जन्मदिवस को इंजीनियर्स डे के रुप में मनाते हैं. दोस्तों आइए जानते हैं उनके एक अजीब किस्से के बारे में और उनकी आगामी सोच के बारे में जिसकी वजह से एक ट्रेन हादसा होने से बच गया था.Mokshagundam Visvesvaraya

दोस्तों हमें किसी भी व्यक्ति पर और उसकी सोच पर हँसाना नहीं चाहिए. मालूम नहीं वह व्यक्ति किस आगामी सोच को अपने दिमाग में लेकर चल रहा है या फिर क्या उसका प्लान है? ऐसे में उस व्यक्ति का उपहास करना अपनी ही मूर्खता को ही साबित करता है. ऐसा ही कुछ हुआ था उस दिन उस ट्रेन में मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या के साथ, जिसका ट्रेन हादसा मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या की सूझ-बूझ और समझदारी से बच गया था..

दोस्तों बात उस समय की है जब भारत में अंग्रेजों का राज हुआ करता था, आने जाने के लिए रेलगाड़ी का प्रयोग किया जाता था और रेलगाड़ियां काफी खचाखच भर कर चलती थी. उस दिन भी रेल गाड़ी खचाखच भरी हुई थी और अधिकतर उसमें अंग्रेज ही सफर कर रहे थे. एक डिब्बे में एक भारतीय मुसाफिर बैठा था जो काफी गंभीर मुद्रा में था और कुछ सोच रहा था और उसके चेहरे पर कुछ चिंताओं की झलक थी.

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उसकी साधारण वेशभूषा, सावला रंग और मंझले कद के कारण सभी अंग्रेज यात्री उसको अनपढ़ मूर्ख समझकर उसका उपहास उड़ा रहे थे लेकिन वह व्यक्ति किसी के द्वारा किये गए उपहास पर या किसी की हंसी पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था बस वह अपने आप में खोया हुआ था और कुछ सोच रहा था. अचानक वह व्यक्ति तेजी से ट्रेन की चैन पकड़ने दौड़ा और उसने ट्रेन की चैन को खींच दिया. जिससे तेज रफ्तार पर चलती हुई रेलगाड़ी रुक गई और सभी यात्री उस व्यक्ति को भला बुरा कहने लगे, गालियां देने लगे.

थोड़ी देर में गार्ड भी उस डिब्बे में आ पहुंचा जहां से जंजीर खींची गई थी. गार्ड ने पूछा कि “चैन किसने खींची है”, उस पर उस व्यक्ति ने कहा कि “चैन मैंने खींची है”. जब उससे कारण पूछा गया तो उसने बताया कि मेरा अनुमान है कि यहां से कुछ ही दूरी पर रेल की पटरी टूटी हुई है या उखड़ी हुई है. गार्ड ने उस व्यक्ति को बड़े आश्चर्य से देखा और कहा “क्या तुम कोई अंतर्यामी हो? तुम्हें कैसे पता कि पटरी उखड़ी हुई है?

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तो उन्होंने बड़ी विनम्रता के साथ उत्तर दिया कि श्रीमान मैंने अनुभव किया है कि गाड़ी की स्वाभाविक गति में कुछ अंतर आ गया है और पटरी से गूंजने वाली आवाज मुझे खतरे का संकेत दे रहे हैं. इस बात पर गार्ड उन्हें लेकर पटरी देखने आगे पहुंच गया और वस ये देख कर दंग रह गया कि वास्तव में कुछ दूरी पर एक जगह रेल की पटरी के जोड़ खुले हुए हैं और सारे के सारे नट-बोल्ट इधर-उधर बिखरे पड़े हैं.

इतने में दूसरे यात्री भी वहां आ पहुंचे और रेल की पटरी के नट-बोल्ट को खुला देख उनकी बुद्धि चकरा गई और उस व्यक्ति की सूझबूझ की प्रशंसा करने लगे.

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तब गॉर्ड ने उनसे बड़ी विनम्रता से पूछा कि आप कौन हैं? इस पर उस व्यक्ति ने उत्तर दिया कि “मैं एक इंजीनियर हूँ और मेरा नाम डॉ मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या है. नाम सुनकर गार्ड और अन्य लोग सब चौंक गए क्योंकि यह नाम इस समय तक पूरे देश में विख्यात हो चुका था. लोग उनसे क्षमा मांगने लगे तो इस पर डॉ मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या ने उत्तर दिया कि आप सब ने मुझे क्या कहा होगा यह तो मुझे ज्ञात ही नहीं. मैं तो कहीं और ही खोया हुआ था मेरा पूरा ध्यान तो रेल की पटरियों पर था. आप में से मुझे किसने गाली दी या किसने भला-बुरा कहा मुझे कुछ मालूम नहीं है.

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