मुम्बई एक सपनों का शहर हैं यहाँ लाखो लोग आते है जाते है। कई आपने मुकाम तक पहुंचने में कामयाब होते है और कई लोग नाकाम होते है। मुम्बई मे हर रोज कुछ ना कुछ होता है सुबह काम पे जाने वाले आदमी के शाम को घर आने तक घरवालो इंतजार रहता है। मुम्बई आजतक कई सारे हमले हुए है। मगर 2008 के 26/11 को हुए आतंकी हमले की यादे आज भी तजा हैं. 26/11 के हमले को कल 9 साल बीत चुके हैं पर आज भी सबको वह मंजर याद हैं.हम नजर डालते है कुछ हमले के ऊपर
- 6 दिसंबर 2002 को, घाटकोपर स्टेशन के पास एक BEST बस में एक विस्फोट में दो लोग मारे गए और 28 घायल हो गए।
- मुंबई में विले पार्ले स्टेशन के पास एक साइकिल बम विस्फोट हुआ, जिसमें 27 जनवरी 2003 को एक व्यक्ति की मौत हो गई और 25 को घायल हो गया।
- 11 जुलाई, 2006 को मुंबई में उपनगरीय रेलवे में 11 मिनट के भीतर सात बम विस्फोट हुए, 22 विदेशियों सहित 35 लोग मारे गए।
- मुलुंड स्टेशन के निकट एक ट्रेन डिब्बे में एक बम विस्फोट हुआ, जिसमें 10 लोग मारे गए और 70 घायल हो गए।
- 25 अगस्त 2003 को, दक्षिण मुंबई में दो बम विस्फोट हुए, एक गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास और दूसरे कलबादेवी के झवेरी बाज़ार में। कम से कम 44 लोग मारे गए और 150 घायल हुए। पाकिस्तानी आतंकवादीयो का हमले का सिलशीला बंद होने का नाम ही नही ले रहा है। बॉर्डर पर रोज गोलीभरी चालू रहती है । आंतकवादियो ये सब करके के क्या साबित करना है और लोगों कि जाने लेकर उनको क्या मिलेगा ? ये सवाल का आज तक कोई जवाब नही दे सकता?
- मुंबई मे हुए आतंकी हमले को 9 साल पूरे हो गए हैं। 26 नवंबर, 2008 को आर्थिक राजधानी में हुए आतंकी हमले ने देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था।
26 नवंबर 2008 की शाम 9:15 कोलाबा के समुद्री तट पर एक बोट से 10 पाकिस्तानी आतंकी उतरे, छिपते-छिपाते हथियारों लेकर कोलाबा की मच्छीमार कॉलोनी से मुंबई में घुसे और तुरंत अपनी घिनौनी करतूतों को अंजाम देने लगे। मच्छीमार कॉलोनी से बाहर निकलते ही ये आतंकी दो-दो की टोलियों में बंट गए। दो आतंकी मुम्बई के सबसे बड़े रेल स्टेशन सीएसटी की तरफ, चार आतंकी ताजमहाल होटल की तरफ, दो आतंकी नरीमन पॉईंट की तरफ, दो आतंकी हॉटेल ट्रायडेंट ओबेरॉय की तरफ चले गये । और चालू हो गया।हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 300 से भी ज्यादा लोग घायल हो गए थे। आतंकीवाद की पहली टीम मे इम्रान बाबर और अबू उमर शामिल थे। ये दोनों लियोपोल्ड कैफे पहुंचे और रात करीब साढ़े नौ बजे जोरदार धमाका किया। आतंकियों की दूसरी टीम में अजमल आमिर कसाब और अबू इस्माइल खान शामिल थे। दोनों सीएसटी पहुंचे और अंधाधुंध गोलियां बरसाने लगे। तीसरी टीम (अब्दुल रहमान बड़ा और जावेद उर्फ अबू अली) हॉटेल ताजमहल की तरफ निकल गई थी। होटल के बहादुर कर्मचारियों की समझदारी की वजह से सभी ग्राहकों को होटल से पिछले गेट से बाहर निकाल दिया गया।
होटल ट्राईडेंट ओबरॉय में आतंकियों की एक टीम रिसेप्शन पर पहुंची और अचानक अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में होटल के 32 ग्राहकों की जान चली गई। सीएसटी स्टेशन, ताज होटल, नरीमन हाउस, लियोपोल्ड कैफे आदि पर हुए हमले में आतंकियों से तीन दिनों तक पुलिस, एनएसजी के जवानों ने लोहा लिया था।
यहां जानते हैं 60 घंटे चले ये ऑपरेशन पोलीस कोन्स्टेबल तुकाराम ऊबाले जैसे महान इंसान ने आपने छाती पे 23 गोलियाँ झेलकर अजमल कसाब को जिंदा पकड लिया। 26/11 मुंबई हमले के अकेले जिंदा पकड़े गए गुनहगार अजमल कसाब को पूरी कानूनी प्रक्रिया के बाद पुणे के यरवदा जेल में फांसी दी गई थी।
महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे, पुलिस अधिकारी विजय सालसकर, आईपीएस अशोक कामटे और कॉन्स्टेबल संतोष जाधव, तुकाराम ओबाले, संदीप उन्नीकृष्णानन, हवालदार गजेंद्र सिंग, सदानंद दाते, आतंकियों ने लोहा लेते समय इस हमले में शहीद हो गए। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स ने 9 आतंकी को मौत के घाट उतरा और एक को जिंदा पकड़ने में कामयाब हो थे।
[स्रोत- बालू राऊत]