मुंबई देश की आर्थिक राजधानी जिसपर हमेशा से देश के दुश्मनों की बुरी नज़र रहीं हैं. 2002 से 2003 में विले पार्ले, मुलुंड आणि मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर हुऐ बम विस्फोट में 13 लोगो की मौत हुई थी और सैकड़ो घायल हुए थे. इस संबंध में, प्रतिबंधित सिमी के तत्कालीन सचिव साकिब नाचन का नाम बाहर आया 2003 में, नाचन ने पुलिस को आत्मसमर्पण कर दिया.मुंबई के स्पेशल पोटा कोर्ट ने साकिब के साथ 10 आरोपियों को दोषी पाया था जिनमें से 3 को उम्रकेद की सज़ा हुई थी. साकिब नाचन को आतंकवाद कानून के तहत हथियार रखने के लिए दोषी ठहराया गया था और 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी जिसे ठाणे सेंट्रल जेल से रिहा किया गया.
नाचन जेल में ‘कैदी नंबर सी – 6208’ के रूप में जाना जाता था. नाचन को “सबसे अनुशासित” कैदियों में से एक के रूप में वर्णित किया गया है और उसको रिहाई के लिए पांच महीने और 13 दिन की छूट मिल रहीं हैं. जेल के अधीक्षक नितिन वायचल ने इसकी पुष्टि की.
संयुक्त रूप से ‘पोटा’ के तहत नाचन को दोषी माना गया था सरकारी वकीलों ने तर्क दिया था कि विस्फोटों में मुख्य आरोपी नाचन थे पिछले साल AK-56 के अवैध रूप से रखने के लिए 10 साल की कारावास की सजा सुनाई गई थी.
2002-2003 के बम विस्फोटों के बाद ठाणे जिले के पडघा गांव में कुछ उच्च शिक्षित युवाओ का नाम सामने आया था. साकिब नचान जो बीकॉम थे, को-इंजीनियर मुजम्मिल अंसारी, एमबीए आतिफ मुल्ला, यूनानी डॉक्टर, वाहीद अंसारी का नाम सामने भी आया था.
[स्रोत- धनवंत मस्तुद]