भारत की धार्मिक परंपराओं में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के लिए जानी जाती है, लेकिन कार्तिक मास की संकष्टी चतुर्थी का महत्व अद्वितीय है। इस बार यह शुभ दिन 18 नवंबर 2024 को पड़ रहा है। इसे भगवान गणेश से अपनी सभी मनोकामनाओं को पूरा करवाने और कष्टों से मुक्ति पाने का अद्वितीय अवसर माना जाता है। क्या है संकष्टी चतुर्थी?
संकष्टी चतुर्थी को ‘संकट हरणी चतुर्थी’ भी कहते हैं। ‘संकष्टी’ का अर्थ होता है ‘संकट का नाश करने वाला।’ इस दिन भक्तगण व्रत रखते हैं और संध्या के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं।
18 नवंबर 2024: खास बात इस वर्ष 18 नवंबर को पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह सोमवार को पड़ रही है। सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है और गणपति भगवान शिव के प्रिय पुत्र हैं। इस दिन व्रत और पूजा करने से भगवान शिव और गणेश दोनों की कृपा प्राप्त होती है।
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के पूजा स्थान को साफ करें और गणपति की मूर्ति स्थापित करें।
- भगवान गणेश को दूर्वा, लाल फूल, मोदक और लड्डू चढ़ाएं।
- संकष्टी चतुर्थी की कथा सुनें या पढ़ें।
- चंद्रमा के उदय के बाद उन्हें अर्घ्य दें और अपना व्रत खोलें।
कथा के महत्व पर एक नजर
इस दिन भगवान गणेश से जुड़ी कथाएं सुनने का महत्व है। यह कथाएं भक्तों को सिखाती हैं कि कैसे भगवान गणेश सभी कष्टों को दूर कर जीवन में सुख और समृद्धि लाते हैं।
संकष्टी चतुर्थी का यह दिन भक्तों को न केवल आध्यात्मिक शांति देता है बल्कि जीवन में सफलता और समृद्धि के नए द्वार खोलता है। तो इस बार 18 नवंबर 2024 को भगवान गणेश की आराधना में लीन होकर उनकी कृपा पाएं।