मणिरत्नम की फिल्म दिल से अपनी फिल्मी सफर की शुरुआत करने वाली प्रीति जिंटा का जन्म 31 जनवरी 1975 को शिमला हिमाचल प्रदेश में हुआ। मनोविज्ञान विषय में ऊंची शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत 1998 में अपनी फिल्मी सफर की शुरुआत काफ़ी धमाकेदार तरह से की। उसी वर्ष दो जबरदस्त हिट फिल्मे दिल से एवं सोल्जर दी।
दोनों फिल्मों में जोरदार अभिनय करने के कारण चहुँओर प्रीति जिंटा के अभिनय की चर्चा होने लगी और फिल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ नई अदाकारा का सम्मान प्राप्त कर रातों-रात सफल अभिनेत्रियों की श्रेणी में शामिल हो गई। सफलता का कारवां वहीं नही रूका पुनः 2003 में फिल्म कल हो न हो के लिए फिल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार प्राप्त कर अपने आप को बॉलीवुड में स्थापित करने में कामयाब हुई ।
फिर क्या था सभी बडे़-बड़े डायरेक्टरों की लंबी लाईन प्रीति जिंटा के दरवाजे पर लगनी शुरू हो गई ।क्या कहना?,कोई मिल गया, कल हो न हो, वीर जारा, सलाम नमस्ते, कभी अलविदा न कहना, मिशन काश्मीर इत्यादि प्रति जिंटा की प्रमुख चर्चित सफल फिल्में हैं। जिसमे जिंटा के अभिनय की खूब तारीफ हुई। प्रीति जिंटा का जीवन भी काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा हैं ।
मात्र तेरह वर्ष की अवस्था में उनके पिता दुर्गानंद जिंटा की मृत्यु एक कार दुर्घटना में हो गई ।जबकि जिंटा की मां बुरी तरह से घायल हो गई और दो वर्षों तक बिस्तर पर पड़ी रही लेकिन जीवन के झंझावतों को झेलकर सफलता की एक अलग दास्तान लिखने में कामयाब रही। बीबीसी न्यूज के लिए ऑनलाइन लेख लिखने से लेकर इंडियन प्रीमियर लीग में किंग्स इलेवन पंजाब की मालकिन तक का सफर सफलता पूर्वक पूरा करने वाली प्रीति जिंटा भारतीय युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत साबित हो सकती हैं।
[स्रोत- संजय कुमार]














































