पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि आज
पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारत के इतिहास के एक ऐसे महान नेता थे जिन्होंने देश और समाज को एक नई राह दिखाई पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिंतक और संगठनकरता थे। वह भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गांव में हुआ था। उनके पिता भगवती प्रसाद उपाध्याय थे जो कि रेलवे में सहायक स्टेशन मास्टर थे। व माता रामप्यारी एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की शिक्षा पी.एस.एस.डी कॉलेज (1937),बिरला कॉलेज(1939) में पूरी हुई थी। पंडित जी जनसंघ के अध्यक्ष भी थे। एक समावेशित विचारधारा के समर्थक थे जो एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे। राजनीति के अतिरिक्त साहित्य में भी उनकी गहरी रुचि थी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए अजीवन संघ के प्रचारक रहे।
जनसंघ में योगदान
21 अक्टूबर 1951 को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई। जहां दीनदयाल उपाध्याय जी को प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया। वे लगातार 1967 तक जनसंघ के महासचिव बने रहे। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी उनके लिए गर्व से सम्मान पूर्वक कहते थे, कि यदि मेरे पास दो दीनदयाल होते तो मैं भारत का राजनीतिक चेहरा बदल सकता हूं। परंतु अचानक वर्ष 1953 में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की असमय मृत्यु से संगठन की सारी जिम्मेदारी दीनदयाल उपाध्याय के युवा कंधों पर आ गई। उन्होंने लगभग 15 वर्षों तक महासचिव के रूप में जनसंघ की सेवा में अपना योगदान दिया। भारतीय जनसंघ के 14 वें वार्षिक अधिवेशन में दीनदयाल उपाध्याय को दिसंबर 1967 में कालीकट में जनसंघ का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। पंडित जी ने देश को अत्योदय का नारा भी दिया।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक लेखक के रूप में
पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक राजनीतिक के साथ-साथ एक लेखक भी थे। उनके अंदर पत्रकारिता तब प्रकृट हुई जब उन्होंने लखनऊ से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका राष्ट्रधर्म में वर्ष 1940 के दशक में कार्य किया। अपने आर.एस.एस के कार्यकाल के दौरान उन्होंने एक साप्ताहिक समाचार पत्र पाचजऩय और एक दैनिक समाचार पत्र स्वदेश शुरू किया था। इसके साथ ही उन्होंने कई जीवनी और नाटक भी लिखे- जैसे चंद्रगुप्त मौर्य और हिंदी में शंकराचार्य की जीवनी भी लिखी। पंडित जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉक्टर के.बी.हेडगोवर की जीवनी का मराठी से हिंदी में अनुवाद भी किया था। सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य, जगतगुरु शंकराचार्य, अखंड भारत क्यों है, राष्ट्र जीवन की समस्याएं, राष्ट्र चिंतन और राष्ट्र जीवन की दिशा आदि उनकी प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियां हैं।
पंडित दीनदयाल एक विचारक के रूप में
पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक महान चिंतक और विचारक थे। उन्होंने भारत की जन सनातन विचारधारा को युवा अनुकूल रूप में प्रस्तुत किया एवं देश को एकात्मक मानव दर्शन जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी। उन्होंने अपनी पुस्तक एकात्मक मानववाद के दर्शन पर श्रेष्ठ विचार व्यक्त किए। साथ ही उन्होंने अपनी पुस्तक मानववाद (इंटीग्रल ह्यूमोनिज्म्) में साम्यवाद और पूंजीवाद दोनों की समालोचना की गई।
आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट किया उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का संपूर्ण जीवन सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के सिद्धांत पर आधारित रहा उनका एकात्म मानववाद का दर्शन भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की कई समस्याओं का समाधान देने में सक्षम है उनकी पुण्यतिथि पर आदर पूर्ण श्रद्धांजलि|
आज के दिन 11 फरवरी 1968 को भारतीय जन संघ को अपने राजनीतिक इतिहास का सबसे गहरा आघात पड़ा था जब 11 फरवरी में मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई थी और इससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई थी|