अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 05 मार्च को राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग द्वारा 05 मार्च को “महिला संसद” और “महिला सशक्तिकरण” पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है । कार्यशाला मेें प्रदेश के मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष सहित राज्य सरकार के मंत्रियों की भी शामिल होने की संभावनाा व्यक्त की जा रही है ।

महिला दिवस

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 05 मार्च को छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग द्वारा राजधानी के दीनदयाल ऑडिटोरियम में “महिला संसद” और महिला सशक्तिकरण पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है । आयोग की अध्यक्ष श्रीमती हर्षिता पाण्डेय से मिली जानकारी मुताबिक यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के मुख्य आतिथ्य में संपन्न होगा ।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और मध्य प्रदेश सरकारों के महिला एवं बाल विकास मंत्री, करीब 20 राज्यों के महिला आयोग के अध्यक्ष-सदस्यों द्वारा कार्यक्रम में भाग लेने की मौखिक सहमति दी गयी है । साथ ही विधान सभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, उच्च शिक्षा मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय और महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती रमशीला साहू भी कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे ।

[ये भी पढ़ें: भिलाई जिले में आधार कार्ड बनाने का काम अब, बैंकों में भी]

श्रीमती हर्षिता पाण्डेय ने यह भी बताया कि कार्यक्रम में प्रदेशभर से जिलापंचायत, जनपद पंचायत और ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि, विश्वविद्यालय और महाविद्यालय से छात्र-छात्राएं, महिला सशक्तिकरण, महिलाओं से संबधित कानून के जानकर, स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे ।

आज भी बीच बहस में महिलाओं के अधिकार:

इस महिला दिवस में संसद से लेकर चौपाल तक, एक बार फिर से महिलाओं के प्रति बड़ी संजीदगी दिखाई देगी । क्या आने वाले समय में महिलाओं के अधिकार पूर्ण हो जाएंगे ? या बातें रह जायेंगी बीच बहस में !

संसद में आज भी महिला बिल पेंडिंग है, क्यों ? उत्तर किसी के पास नहीं । हां, इस विषय को लेकर बहस अच्छी होती है । मार्च के महीने में इसी तरह आधी आबादी को याद किया जाता रहा है, और बातें वहीं की वहीं रह जाती है । आगे भी याद किया जाएगा, यह तय है । हम भूल क्यों जाते हैं, जब कोई बात करें तब, हमनें उस विषय पर कितनी संजीदगी दिखाई है । यह जरूर सोंचे ; चाहे वह संसद हो या चौपाल ।

जब भी महिला अधिकारों की बात आती है, सबकी अपनी-अपनी नजर इस विषय पर होती है । और बहस अधूरा ही रह जाता है । क्यों ? उत्तर कहीं नहीं है ! आजाद भारत में जन्मी एक महिला शायद आज दादी या नानी बन गई हो, और आज भी वह अपनी पोती या नातिन की पूर्ण अधिकारों की प्रतीक्षा कर रही हो, क्या वह अपने जीवित रहते इन पेंडिंग बिलों को पूर्ण होते देख पायेंगी ? आज भी यह प्रश्न बना हुआ है !

फिर भी, इस तरह के आयोजनों से शायद महिलाओं को सम्पूर्ण अधिकार दिलाने में एक प्रयास जरूर होता है ।

[स्रोत- घनश्याम जी.बैरागी]

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.