राष्ट्र भाषा हिंदी को इंटरनेट की दुनिया और भी ज्यादा सफल बनाने के लिए शोधसंघ- Research Forum द्वारा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली में 10 जनवरी 2018 को एक दिवसीय राष्ट्रीय परिचर्चा का आयोजन किया गया. इस राष्ट्रीय परिचर्चा का नाम ‘इंटरनेट की दुनिया में हिंदी’ रखा गया. नाम से ही पता चलता है कि यह परिचर्चा राष्ट्रभाषा हिंदी को इंटरनेट की दुनिया में बढ़ावा देने के लिए ही बुलाई गई है.इंटरनेट की दुनिया में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए रखी गई इस राष्ट्रीय परिचर्चा को चार चरणों में बांटा गया है.
1. हिंदी: प्रिंट से डिजिटल तक का सफर
2. ऑनलाइन साहित्य एवं पत्रकारिता: सुविधा एवं सरोकार
3. बाजारवाद के दौर में हिंदी भाषा का वर्तमान और भविष्य
4. इंटरनेट की दुनिया में हिंदी (ओपन डिस्कशन)
पहले चरण हिंदी: प्रिंट से डिजिटल तक का सफर का संचालन प्रियंका कुमारी द्वारा किया गया जिसके वक्ता सी. पी. झा., प्रो. देव शंकर नवीन और डॉक्टर उज्जवल आलोक रहे. सभी ने अपने अनुभव और कार्यशैली के आधार पर राष्ट्रीय परिचर्चा में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों को हिंदी की वर्तमान स्थिति तथा इंटरनेट में तेजी से बढ़ने वाली हिंदी के भविष्य को लेकर चर्चा की.
दूसरा चरण ऑनलाइन साहित्य एवं पत्रकारिता: सुविधा एवं सरोकार जिस का संचालन रचना सूर्यवंशी द्वारा किया जाएगा और वक्ता रहेंगे अरुण देव तथा डॉक्टर अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी. इस चरण में पत्रकार क्षेत्र में रुचि रखने वाले प्रतिभागियों को तथा जो अपने ब्लॉग या वेबसाइट बनाकर इंटरनेट के माध्यम से हिंदी को बढ़ावा दे रहे हैं उस पर चर्चा की जा सकती है.
तीसरे चरण बाजारवाद के दौर में हिंदी भाषा का वर्तमान और भविष्य का संचालन संध्या तिवारी द्वारा किया जाएगा और वक्ता रहेंगे डॉ संजय सिंह बघेल तथा डॉ मलखान सिंह. इस चरण में हिंदी भाषा के वर्तमान और भविष्य को लेकर चर्चा की जाएगी. डॉक्टर संजय सिंह बघेल तथा डॉक्टर मलखान सिंह प्रतिभागियों को हिंदी के भविष्य से अवगत कराएंगे तो साथ ही साथ हिंदी के वर्तमान से भी प्रतिभागियों को रूबरू होना पड़ेगा. प्रतिभागी इंटरनेट में हिंदी का प्रचार व प्रसार करके किस प्रकार प्रतिभागी अपना भविष्य सुनहरा बना सकते हैं इस पर भी चर्चा की जा सकती है.
अंतिम चरण इंटरनेट की दुनिया में हिंदी एक ओपन डिस्कशन रहेगा जिसमें सभी प्रतिभागी अपने अपने विचार प्रकट करेंगे. इसका संचालन अतुल वैभव करेंगे तथा वक्ता रहेंगे डॉ. वैभव सिंह, डॉ. हरीश अरोड़ा डॉ. गंगा सहाय मीणा और सुयश सुप्रभ.
सभी चरण समाप्त होने के बाद प्रमाण पत्र वितरण किया जाएगा जिस का संचालन प्रांजल प्रतिम बरुआ द्वारा किया जाएगा.