अभी तक भारत के लोग अपनी पहचान को कुछ डिजिटल अंकों वाले आधार कार्ड में भी पूरा नहीं कर पाये थे। अब सरकार ने भारत में रहने वाले हर नागरिक के घर और कार्यालय के पतों को भी डिजिटल अंकों में परिवर्तित करने का निर्णय ले लिया है।
ई एड्रेस :
भारतीय सरकार ने डाक विभाग के साथ मिलकर एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत पाइलट प्रोजेक्ट के लिए तीन पिन कोड वाली लोकेशन को चुना गया है और इन पतों को 6 अंकों वाले डिजिटल अंकों में बदल दिया जाएगा।
ई एड्रेस का लाभ:
जब एक बार पता डिजिटल हो जाएगा तो इससे यह उस पते के असली स्वामी का नाम बहुत सरलता से पता किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त उस व्यक्ति का प्रॉपर्टी टैक्स रिकॉर्ड भी खंगाला जा सकता है। इस पते पर बिजली, पानी और गैस का कनेक्शन है या नहीं, इस बात का भी सरलता से पता लग सकता है। इस प्रकार इस प्रोजेक्ट से प्रॉपर्टी संबंधी मसलों को आसानी से हल किया जा सकता है।
कौन कर रहा है:
इस काम के लिए सरकार के डाक विभाग एक निजी मैपिंग कंपनी “मैप माई इंडिया” नाम की कंपनी को दायित्व दिया है। यह कंपनी इस काम में इसरो और नेशनल सैटेलाइट इमेजरी सर्विस ‘भुवन’ की मदद ले रही है ।
डाक विभाग के अतिरिक्त डायरेक्टर जनरल (मेल ऑपरेशंस) अभिषेक कुमार सिंह ने एक पत्र को 27 सितंबर को मैपमाईइंडिया को भेजा था। इस पत्र में कंपनी को लिखा था की इस योजना में जुटाए गए सभी प्रमाणों का इस्तेमाल डाक विभाग डिजिटल एड्रेस के लिए कर सकता है। सभी तरह के आंकड़े डाक विभाग के पास रहेंगे और निजी कंपनी इन आकड़ों और प्रमाणों का व्यवसायिक इस्तेमाल नहीं कर सकती है।
मैपमाईइंडिया के एम डी राकेश वर्मा के अनुसार इस प्रकार ई एड्रेस के लागू हो जाने से थोड़े जटिल और कठिन पतों को पहचान करना सरल हो जाएगा। इन डिजिटल पतों को दूसरी सेवाओं के साथ लिंक भी सरलता से किया जा सकता है।
कहाँ से शुरू हो:
घर के पतों को डिजिटल अंकों में बदलने का पायलट प्रोजेक्ट फिलहाल नोएडा और दिल्ली से किया जा रहा है।
कैसा हो ए एड्रेस :
आप यह सोच सकते हैं की आपका घर के पते का डिजिटल रूप कैसा होगा। तो आपको बता दें की यह बिलकुल आपके आधार नंबर की भांति ही दिखाई देगा। मान लीजिये की आपके दोस्त के घर का पता 284, पाकेट 4B मंगोलपुरी है तो इस पते का डिजिटल रूप 9ADGSU या इसी तरह का हो सकता है। इस प्रकार चार से पाँच लाइनों में आने वाला पता छह अंकों में सिमट जाएगा।
यदि यह पायलट प्रोजेक्ट सफल हो जाता है तो इसे जल्द ही पूरे भारत में लागू किया जा सकता है। मैप माई इंडिया कंपनी ने एक पत्र के द्वारा यह सूचित किया है की उसने इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है और आंकड़े इकट्ठे करने भी शुरू कर दिये हैं।
तो जल्द ही आपको अपनी नेमप्लेट बदलनी होगी जिसपर छह अंको का डिजिटल पता लिखा होगा।