प्रशासन ने वित्तीय संकट में नगर निगम मंडी के रखरखाव और व्यय की लागत के बाद भूखंड धारकों के परमिट शुल्क और किराया को बढ़ाने का निर्णय मुंबई नगर निगम लिया है. इस में, मछली विक्रेताओं के मालिकों के किराए दोगुना हो जाएगा. इसके अलावा, किराया में हर साल 10% की वृद्धि होगी यह वृद्धि 21सालों के बाद की जा रही है, इसका परिणाम सब्जियों और मांस की बिक्री पर होने की संभावना जताई जा रहीं है मुंबई नगर निगम के तहत ए, बी और सी श्रेणी में 100 से आधिक मंडीया हैं, इन भूखंडों का लिए किराया 1996 के बाद से बढ़ाया नहीं गया है, इसलिए, इन मंडीयों के रख रखाव और लागत के भार से नगर निगम को घाटा हो रहा था.मंडी का वार्षिक घाटा 24.34 मिलियन का था जिससे मंडी की सुविधाओं पर असर हो रहा था ऐसा प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आखिरकार उन्होंने बाजार में किराए में वृद्धि करने का फैसला किया है. अभी तक, बाजार के बाजार मूल्य के अनुसार वर्ग फुट की कीमत तय करके धारकों से अलग-अलग किराऐ वसूल किए जाते थे.
अब, मंडी में सभी के लिए, स्क्वेर फीट किराया एक समान होगा. बाजारों में ‘बाज़ारयोग्य भुखंडों का, शाकाहारी ‘मार्केटेंबल’ और ‘मांसाहारी-मार्केटबल’ और अन्य के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा और हर वर्ग फुट में विभाजित किया जाएगा. प्रस्ताव को मंजूरी के लिए स्थायी समिति के पैनल में प्रस्तुत किया गया है. शाकाहारी’ मार्केटें का लिए 6-8 रुपये का किराया था जो, वर्तमान में 14 रुपये प्रति चौरस फुट होगा. और मांसाहारी मार्केट का किराया 7.50 से 9 रुपये था जो अब 16 रुपये होगा और अन्य का 7.50 से 12.50 का किराया अब 20 रुपये पर स्क्वेरफिट लिया जायेगा.
इससे पिछले कुछ सालों में मंडी के सेवाओं के रखरखाव के लिए लागत में वृद्धि हुई है इसलिए, नगर निगम को लागत से अधिक खर्च करने की आवश्यकता है. वर्ष 2016-2017 में, बाजार विभाग ने मंडी के लिए 42.12 करोड़ रुपये खर्च किए, तुलना में, बाजार से 17.88 लाख रुपये का उत्पन्न मिला.
इसलिए 24 करोड़ 24 लाख रुपये का घाटा हुआ था इसीलिए 21 साल बाद, 1996 में सभी मंडियों में किराया बढ़ाया गया था. इसके बाद, 21 साल के बाद किराया बढ़ा दिया गया है, इससे पहले, सभी मंडियों के वर्गीकरण के अनुसार शुल्क लिया जाता था हालांकि, अब सभी को एक वर्ग फुट दर तय की गई है.