किसान व दिव्यांगो की मांगो को लेकर अकोला में जनशक्ति प्रहार ने जिंदा शव पुजन आंदोलन कर सरकार की नीति के खिलाफ शनिवार को जिलाधिकारी कार्यालय के सामने जिंदा शव पुजन आंदोलन किया. इस अनोखे आंदोलन के माध्यम से जिला प्रशासन तथा सरकार का ध्यान किसान व विकलांगो की मांगो की और खींचने का प्रयास किया इस आंदोलन को पुलिस ने जबरन खत्म करवाया.
जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में कहा गया कि जिले में किसानो की फसलो का नुकसान हुआ है , जिससे किसान आर्थिक संकट से घिरा हुआ है. इसीलिए उनके नुकसान का सर्वे किया जाये. जिले में विगत तीन सालों से विकलांगों के लिये आरक्षित 3 प्रतिशत निधी खर्च नहीं हो पाया है. इन मांगो को लेकर प्रहार जनशक्ति ने शनिवार सुबह 11 बजे जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना आंदोलन शुरु किया. इस धरने आंदोलन में सरकार की नीति का विरोध करते हुए जिंदा शवों का पुजन किया गया. इस अनोखे आंदोलन की वजह से मार्ग पर भीड इकट्ठा होने लगी थी. कुछ मिनटो में इस आंदोलन को पुलिस ने बजरन खत्म करवाया.
किसानो के हित में स्वामिनाथन आयोग लागू किया जाए, जिले में किसानों के कपास, सोयाबीन फसल के नुकसान का मुआवजा दिया जाये. दिव्यांगो के अधिकार का तीन प्रतिशत निधी तुरंत खर्च किया जाये, निधी खर्च न करने वाले अधिकारीयों पर कडी कार्रवाई की जाये अकोला महानगर पालिका में लाखों रुपये दिव्यांगो के लिये आरक्षित रखे गए जो खर्च किए जाए.
दिव्यांगो का तहसिल संजय गांधी निराधार समिती में समावेश किया जाये दिव्यांगो को बिना शर्त घरकुल दिया जाए आदि मांगो को लेकर 2 को प्रहार जनशक्ति पार्टी नें जिलाधिकारी को न्यापन सौंपा. न्यापन कि प्रतिया अकोला के जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी, अधिकारी, मनपा आयुक्त व पंचायत समितियो को भी सौंपी गई. मांगे पुर्ण न होने पर शनिवार को जिंदा शव कि पुजा कर निषेध दर्ज किया गया.
[स्रोत – शब्बीर खान]