हरदोई- जिले में होली का त्यौहार पूरे धूम धाम से मनाया जा रहा है। और बुराई की प्रतीक होलिका के दहन के साथ पर्व का आयोजन शुरु हो जाता है। और हरदोई जिले से होली का खास महत्व है क्योकि होलिका दहन हरदोई में ही हुआ था तब से पूरा देश मना रहा है बताते चले की राक्षस हिरण्यकश्यप हरदोई का राजा था और जैसा की आप सभी जानते हो की उनकी बहन होलिका ने हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद को अपनी गोद में बैठा कर जलाने का प्रयास किया था लेकिन वो स्वंय ही जल गई थी उसी दिन से यह त्यौहार मनाया जाता है।
आज भी हरदोई शहर के लोग राम (र) का प्रयोग बहुत ही कम करते है। क्योकि राक्षस हिरण्यकश्यप राम भगवान का द्रोही था इस लिये प्रचीन समय में हरदोई को हरिद्रोही भी कहा जाता था। इन सब के बावजूद जिले में गंगा जमुनी तहजीब के आधार पर मनाया जाता है चहे हिंदू हो या मुस्लिम सब एक दूसरे को बधाई देते है और आपसी भाई चारे को कायम करते है। इस दिन एक दूसरे को रंग लगा कर पूरे साले के गिले शिकवे मिटाये जाते है।
एक दूसरे को गले लगा कर होली की बधाई दी जाती है। इस दिन से ही नये आनाज की प्रयोग किया जाता है और सभी पकवान होलिका दहन के बाद ही तैयार किये जाते है। होली का त्यौहार फागुन मास की पूर्णिमा की तिथि को मनायी जाती है। प्राचीन समय में होली को फागुई भी कहा जाता था लेकिन समय के साथ सब कुछ बदलता गया।
[स्रोत- लवकुश सिंह]