बिहार में महा गठबंधन टूट चुका है, नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद का दामन छोड़ फिर से भाजपा का दामन थाम लिया है, लालू परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से नीतीश की छवि को खतरा हो सकता था, नीतीश साफ-सुथरी छवि के नेता हैं और यही उनकी ताकत है। नैतिकता की इस लड़ाई में उन्होंने भ्रष्टाचारियों का साथ ना देकर साबित कर दिया है कि उन्हें अपनी गरिमा बनाए रखने के लिए कुर्सी भी छोड़नी पड़ी तो वह पीछे नहीं हटेंगे ।
स्वतंत्र भारत में और भी राजनेता हुए हैं जिन्होंने नैतिकता के लिए कुर्सी का त्याग कर दिया, जिनमें से कुछ का वर्णन हम इस लेख के माध्यम से करने जा रहे हैं।
1-: लाल बहादुर शास्त्री- लाल बहादुर शास्त्री जब रेल मंत्री थे तब 23 नवंबर 1965 को तमिलनाडु के अरियालपुर में ट्रेन हादसा हुआ था जिस में 142 यात्रियों की मौत हुई थी, इस हादसे से पहले भी एक रेल हादसे में 112 लोगों की जान गई थी, उसी वक्त तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने हादसे की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए पद से त्याग पत्र दे दिया था, दूसरे ट्रेन हादसे के बाद जब वह अपना त्यागपत्र तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु को देने गए तो उन्होंने वह त्यागपत्र यह कहकर स्वीकार किया था कि यह लोगों के लिए एक मिसाल है, इस त्याग पत्र का मतलब यह नहीं है कि लाल बहादुर शास्त्री इस हादसे के लिए जिम्मेदार हैंं।
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2-: वी के कृष्ण मेनन- 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय वी के कृष्ण मेनन रक्षा मंत्री थे, इस युद्ध में भारत की हार का जिम्मेदार वी के कृष्ण मेनन को ठहराया जाता है, उन पर आरोप था कि 1955 में भेजी गई इंटेलीजेंस की रिपोर्ट को उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया जिसमें चीन द्वारा विवादित क्षेत्रों को कब्जे में लेने के लिए चीन की तैयारियों का जिक्र था। भारत की इसी लापरवाही के कारण चीन सीमा के अंदर घुस आया था, तभी वी के कृष्ण मेनन से रक्षा मंत्रालय छीनकर रक्षा उत्पादन विभाग देना तय किया गया उससे पहले ही मेनन ने पद से इस्तीफा दे दिया।
3-: वीपी सिंह- 1984 के चुनावों में राजीव गांधी ने वी पी सिंह को वित्त मंत्रालय सौंपा था, अपने पद पर रहते हुए उन्होंने कई उद्योगपतियों पर टेक्स्ट चुराने के आरोप में रेड डाली जिसमें कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने कांग्रेस को वित्तीय सहायता प्रदान की थी। राजीव गांधी ने उन्हें वित्त मंत्रालय से हटाकर रक्षा मंत्री का पद दे दिया, रक्षा मंत्रालय में भी उन्होंने घोटालों का पता लगाया, इस बार राजीव गांधी और वीपी सिंह से रिश्तो में मनमुटाव और ज्यादा बढ़ गया, इसी के चलते बी पी सिंह ने 1987 में न केवल रक्षा मंत्रालय से इस्तीफा दिया बल्कि लोकसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया।
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4-: लालकृष्ण आडवाणी- लालकृष्ण आडवाणी को 1996 में हुए 64 करोड रुपए के जैन हवाला कांड से जोड़ा जाता है, इस आरोप के तहत लालकृष्ण आडवाणी ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया। 1998 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव तभी लड़ा जब उन्हें हवाला मामले में क्लीन चिट मिल गई।
5-: माधवराव सिंधिया- 8 जुलाई 1988 को केरल में आईलैंड एक्सप्रेस अशतामुदी झील में गिर गई थी जिसमें 107 लोगों की जान गई थी। उस समय माधवराव सिंधिया रेल मंत्री थे, नैतिकता के लिए माधवराव सिंधिया ने राजीव गांधी को इस्तीफा सौंपा जिसे राजीव गांधी ने स्वीकार नहीं किया था। इसके बाद 1993 में माधवराव सिंधिया नागरिक विमान व पर्यटन मंत्री थे, तब टीपू 154 विमान दुर्घटना का शिकार हो गया था जिसमें सभी यात्री तो सुरक्षित थे परंतु माधवराव सिंधिया ने पद से इस्तीफा दे दिया था।