राजनीति के खेल निराले है, सूबे में जब सपा की सरकार थी तब जय और वीरू की जोडी के नाम से मशहूर राजपाल यादव और हरेन्द्र सिह ने मिलकर जिला पंचायत अध्यक्ष की चुनावी कुश्ती को जीत लिया था. समय गुजरा और जय-वीरू के रिस्तों में दरारें आने लग गईं. सूबे से सपा की सरकार की विदाई होने पर जब भाजपा की सरकार आई तो जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी ने बिना हाथ लगाये ही हिलना शुरू कर दिया.
कई महीने तक कुर्सी के लिए रणनीति बनती रही और आखिर में कुशल यादव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर विरोधियो ने जिला पंचायत अध्यक्ष कुशल यादव के पति राजपाल यादव की मुश्किल बढ़ा दी. 26 सितम्बर को जिला पंचायत अध्यछ की कुर्सी का फैसला होने से पहले हालात पल-पल पर बदल रहे हैं.
भगवा खेमे से भी एक दिग्गज का आंशिक स्पोर्ट मिलने के बाद भी कुशल यादव की कुस्री पर खतरा बरकरार है. चर्चाये हैं कि कुर्सी को बचाने के लिए राजपाल यादव ने पुराने साथी से भी ताकत बटोर ने की कोशिश की लेकिन वहां से सिर्फ नसीहत ही हासिल हुई. कुछ विरोधोयों का दावा है कि हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि राजपाल यादव रणछोर बन सकते हैं. मालूम पडा है कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद की दाबेदारी कर रहे राकेश बघेल ने अपने जिला पंचायत सदस्यों को भूमिगत कर दिया है और उनके समर्थक सदस्य आज सीधे सदन में आयेगें.
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इधर कुशल यादव की कुर्सी बचाने के लिए राजपाल यादव पूरी ताकत झोंके हुए हैं. उन्हे भगबा खेमे के एक सदस्य की स्पोर्ट भी मिल गई है. इसके बाबजूद राजपाल यादव की जीत का आंकड़ा गड़बड़ा रहा है.
पता चला है कि राजपाल यादव के साथ समर्थन में खडे तीन सदस्यों ने बिना किसी लालच के समर्थन देने की बात कही है जो किसी के गले नहीं उतर रही, इसमें से एक सदस्य वह है जिसके निर्माण को सपा सरकार में सील कर दिया गया था और दूसरा सदस्य वह है जो राजपाल यादव का राजनितिक प्रतिद्वंदि है और एक ही पार्टी में होने की वजह से बिना समर्थन दे रहा है.
[स्रोत- बबलू चौहान]