एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर दोहरा रवैया अपनाने को लेकर आरोप लगाया है कि जब तस्लीमा नसरीन आपकी बहन बन सकती है तो रोहिंग्या मुसलमान आपका भाई क्यों नहीं बन सकता है? क्यों उनको देश से बाहर निकालने की बातें हो रही हैं?
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असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को निशाना बनाते हुए एक सभा में उनसे सीधे सवाल किए हैं कि जब तसलीमा नसरीन को हम स्वीकार कर सकते हैं तो रोहिंग्या मुसलमानों को देश में रहने के लिए रिफ्यूजी का दर्जा क्यों नहीं दिया जा रहा है. क्या पहले से देश में और शरणार्थी नहीं रह रहे हैं क्या हमने तिब्बती लोगों को शरण नहीं दी है.
आगे सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने तमिलनाडु में रह रहे शरणार्थियों का जिक्र किया और कहा कि इन रोहिंग्या मुसलमानों का जब कोई नहीं है, अपने देश से निकाल दिए गए हैं, उनके पास न खाने को है ना पीने को है तो ऐसे में देश उनके साथ ऐसा रवैया कैसे बारात सकता है. कैसे BJP सरकार यह कह सकती है कि हम तमाम रोहिंग्या मुसलमानों को उठा कर वापस भेज देंगे.
#WATCH: AIMIM President Asaduddin Owaisi speaks on Rohingya refugees in India pic.twitter.com/OXUgqq4eq7
— ANI (@ANI) September 15, 2017
उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से निशाना बनाया और कहा कि आप United Nations Security Council की मेंबरशिप में परमानेंट हिस्सा लेना चाहते हैं तो आपका क्या यही रवैया रहेगा कि आप शरणार्थियों को देश में जगह भी ना दें और दर-दर की ठोकरें खा रहे लोगों को देश से बाहर निकालने के आदेश दे दें. क्या 100 करोड़ की आबादी वाला देश 40,000 रोहिंग्या मुसलमानों को अपने सीने में जगह नहीं दे सकता है.
उधर भारत सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को राष्ट्र सुरक्षा के लिए खतरा मान रही है और साथ ही यह दावा करती है खुफिया जानकारी के मुताबिक रोहिंग्या मुसलमानों के संबंध आतंकी संगठनों के साथ हैं और इसी को मद्देनज़र रखते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ एक हलफनामा दाखिल किया जिसमें साफ-साफ यह था कि रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार वापस भेज दिया जाए क्योंकि यह राष्ट्र सुरक्षा के लिए खतरा है और भारत में नहीं रह सकते हैं
अब तक लगभग 40000 रोहिंग्या मुसलमान भारत में रह रहे हैं जिनमें से 16000 के पास वैध शरणार्थी प्रमाण पत्र हैं तो अब इस स्थिति में रोहिंग्या मुसलमानों का क्या होगा? इसका फैसला 18 सितंबर को होगा. क्या रोहिंग्या मुस्लमान भारत में रहेंगे या भारत से निकाल दिए जाएंगे.