चंद्रयान यान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित की गई एक मानव-योजित अंतरिक्ष मिशन है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्र की सतह पर भारतीय फ्लैगशिप यान को लौटाना और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण डेटा एकत्र करना है।
चंद्रयान यान की पहली मिशन, चंद्रयान-1, 2008 में लांच की गई थी। यह यान सूक्ष्मता से चंद्र की सतह को निगरानी करने के लिए था। चंद्रयान-1 ने अपने प्रक्षेपण के दौरान बहुत सारे महत्वपूर्ण डेटा भेजे, जो चंद्र की संरचना और सतह की समझ में मदद करते हैं।
इसके बाद, चंद्रयान-2 यान 2019 में लांच किया गया। यह यान एक मानव-योजित मिशन था, जिसका प्रमुख उद्देश्य चंद्र की सतह पर विज्ञान और तकनीकी अध्ययन करना था। इसमें प्रमुख साधन चंद्रयान-2 आरोहक (ओर्बिटर), विक्रम (लैंडर) और प्रग्या (रोवर) शामिल थे। हालांकि, विक्रम लैंडर का प्रक्षेपण उच्चतमता तक नहीं पहुंचा था, लेकिन चंद्रयान-2 आरोहक और प्रग्या रोवर अपने कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा करने में सफल रहे।
चंद्रयान-3 यान, जो वर्तमान में विकसित हो रहा है, चंद्र की सतह पर भूमिगत लैंडिंग के लिए तैयारी कर रहा है। यह यान वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए नए साधनों के साथ चंद्र की सतह पर पहुंचेगा।
मिशन प्रोफाइल
मिशन वर्तमान में 14 जुलाई 2023 को 2:35 भारतीय मानक समय पर लॉन्च होने वाला है, जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी लिफ्ट लॉन्च वाहन पर 19 जुलाई के अंत तक लॉन्च होने की संभावना है। भारत के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से।
चंद्रयान यान ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को गर्व और मान से भर दिया है। इसके माध्यम से हम नई ज्ञान की प्राप्ति कर रहे हैं और चंद्र से संबंधित तकनीक और वैज्ञानिक माहिती को बढ़ावा दे रहे हैं। चंद्रयान यान के अगले मिशन के लिए हम और अधिक उन्नत साधनों और अनुसंधान की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे अंतरिक्ष के रहस्यों को खोजने में हमारी सफलता बढ़ेगी।