हनुमान चालीसा पढ़ते हुए, धरती से सूरज की दूरी तो हम रोज ही नापते हैं, क्यों न अब धरती से मंगल ग्रह की दूरी को नापने के लिए वहाँ का एक चक्कर ही लगा आयें। यही बात उन 1,38,899 लोगों ने सोची होगी जिन्होनें अपना नाम नासा की उस लिस्ट में लिखवाया है जो 5 मई 2018 से मंगल ग्रह जा रहे हैं।
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जी हाँ, यह कोई चंडूखाने की गप नहीं है, बल्कि सच्चाई है। नासा ने एक ‘इनसाइट मिशन’ नाम से एक अभियान शुरू किया है जिसके अंतर्गत एक फ्लाइट धरती से मंगल जाएगी। इस मिशन की पहली खेप 5 मई 2018 को धरती से मंगल ग्रह की ओर भेजी जाएगी।
इनसाइट मिशन:
आजकल एक नए शब्द की चर्चा सारे विश्व में ज़ोर-शोर से फैली हुई है और वो है ‘इनसाइट मिशन’।आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इनसाइट वास्तव में एक रोबोट मंगल ग्रह लैंडर हैं जिसे पहले मार्च 2016 को छोड़ने की योजना बनाई गई थी। लेकिन इसमें किसी प्रकार की अंदरूनी खराबी के कारण दिसंबर 2015 में ही नासा ने इस मिशन को स्थगित करने की घोषणा कर दी थी।
तभी इस मिशन को दोबारा 5 मई 2018 को शुरू करने की घोषणा भी कर दी गई थी। वास्तव में 720 दिन के नासा के इस मिशन का उद्देशय मंगल ग्रह का गहराई से अध्ययन करना है जिसमें विशेष रूप से भविष्य के भूकंपों का अध्ययन भी किया जाएगा।
कैसे हुआ रजिस्ट्रेशन:
नासा के इस मिशन में जाने के लिए जिन लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया है उन्हें एक नासा की ओर से एक ऑनलाइन बोर्डिंग पास जारी किया जाएगा। जिन लोगों के नाम पर नासा ने अंतिम स्वीकृति की मुहर लगा दी है उनके नाम को एक सिलिकोन चिप पर इलेक्ट्रॉन बीम से लिखा जाएगा। यह अक्षर एक मानव बाल के एक हजारवें भाग से भी अधिक पतले होंगे। इसके बाद इस चिप को मंगल ग्रह पर जाने वाले लोगों के शरीर पर लगाया जाएगा।
कौन-कौन जाएगा:
नासा की ओर से इस मिशन की घोषणा करते है पहले राउंड में लगभग 8,27,000 और दूसरे राउंड में 9,00,000 लोगों ने आवेदन किए थे। सभी आवेदनों की समीक्षा करने के बाद नासा ने यह स्पष्ट किया है की अमरीका के निवासियों की संख्या इस मिशन पर जाने वाले व्यक्तियों में सबसे अधिक 6,76,773 है। अब क्योंकि यह मिशन अमेरिका का ही है, इसलिए अमरीकी निवासियों की संख्या अधिक होने में कोई अचरच नहीं है। इसके बाद चीन का स्थान आता है।
इस मिशन पर जाने वाले लोगों में भारतीयों की संख्या 1,38,889 है जबकि कुल 2,42,9807 लोगों ने इसके लिए अपने आवेदन किए थे। जिन देशों ने इस मिशन के लिए आवेदन किया था, उनमें भारत का स्थान तीसरा है। भारत के लोगों का इस मिशन के प्रति उत्साह का मुख्य कारण भारतीय मंगलयान की सफलता है और दूसरे अमरीका और भारत के बीच बढ़ता सहयोग।
विशेष:
यह सब पढ़कर अगर आपका भी मंगल ग्रह की सैर करने का मन करे, तो अपने मन को समझा लीजिएगा, क्योंकि आपकी बारी इस मिशन में नहीं आ सकती है। इस मिशन पर जाने वाले लोगों के नाम स्वीकार करने की तारीख समाप्त हो चुकी है ।