पहले तो इस त्रेतायुग के दिवाली वाले आयोजन की संछिप्त जानकारी लेते है. अतः कहानी कुछ इस तरह से है की हमारे मानिए मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ जी महराज आज के दिन अयोध्या में एक दिवाली के समारोह में शामिल होने जा रहे है. जिसकी जानकारी उन्होंने खुद ही अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिये साझा की है या ये कहिये हमे इस आयोजन के बारे में सूचित किया गया है. और ये कोई आम आयोजन नहीं है बल्कि इसमें हम कई सारे वर्ल्ड रिकॉर्ड भी ध्वस्त करने के तैयारी में है जैसे की नीचे दिए गए कुछ तथ्यों में अपनी दृष्टि डालिये –
> माननीय CM जी की एंट्री (आजकल के कलयुगी विमान (हेलीकाप्टर) द्वारा) – दोपहर 3.15 मिनट पे.
> 3.40 पे वे उसी यन्त्र से रामकथा पार्क पहुंचेंगे और वहा पे कुछ झांकियों का अवलोकन करेंगे.
> भगवान रामचंद्र के लीला स्वरूपों की आरती सायं 4.05 बजे पे करेंगे.
> इसके बाद कुछ सरकार द्वारा जारी प्रतीकात्मक एवं स्वीकृति पत्र का वितरण होगा साथ ही साथ बच्चो एवं वृद्धो को मिष्टान तथा कम्बल वितरण किया जायेगा.
तत्पस्चात सायं 5.१० में उनका उद्बोधन होगा जोकि 10 मिनट का होगा फिर राज्य के श्री राज्यपाल महोदय राम नाईक जी समारोह को संबोधित करेंगे.
> 5.45 बजे वे यहां से रवाना होंगे नयाघाट के लिए. 6.10 बजे सरयू आरती एवं 6.35 बजे दीप प्रज्ज्वलन का कार्यक्रम है।
> राम की पैड़ी स्थित मंच पर इनका आगमन 6.50 बजे होगा.
> अंततः सायं 7.40 बजे रामकथा पार्क में अंतर्राष्ट्रीय व देश की रामलीला कथाओं का अवलोकन किया जायेगा.
#Deepotsav की तैयारियां सम्पन्न, 18 अक्टूबर, 2017 को 1.71 लाख दीप प्रज्ज्वलन के साथ बनाया जाएगा वर्ल्ड रेकॉर्ड। pic.twitter.com/MKRZEwuTOi
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) October 17, 2017
कैसे बन सकता है वर्ल्ड रिकॉर्ड –
इस बार इस मौके पे करीब 4 हजार लीटर तिल के तेल से लगभग 1.71 लाख दीप जलाए जाएंगे।
इससे पहले यह रिकॉर्ड बाबा राम रहीम (डेढ़ लाख दीप) के नाम पर दर्ज है।
दीपों को जलाने के लिए अवध यूनिवर्सिटी के 5 हजार स्टूडेंट्स को बुलाया गया है।
विदेशी सैलानी भी काफी संख्या में इस आयोजन को देखने के लिए जमा हो रहे है.
[ये भी पढ़ें: विश्वास में टूट न जाये, विश्वास की डोर]
यह हमारे लिए बड़े ही गर्व की बात है की हमारे राज्य में कोई ऐसा आयोजन किया जा रहा है परन्तु कुछ अन्य विचार भी मस्तिष्क में उठ रहे है क्या उन्हें ऐसे ही जाने दू या हम इन चीजों के लिए भी तैयार है.
यदि हम इस समय कलयुग के काल में जी रहे है जहा पे कोई जीवन सिर्फ इसलिए ख़तम हो जाता है की उसको पेट भर खाने को नहीं मिलता या हमारे अपने बच्चो की मृत्यु हो जाती है सिर्फ कुछ लापरहवाह मुलाजिमों एवं ऑक्सीजन (जिसको हमारी प्रकृति ने अनंत दिया हुआ है) की कमी से वैसे समय में हम त्रेतायुग की क्यों नक़ल कर रहे है… क्या हमारी रणनीति समय की साथ नहीं चलनी चाहिए???