शिवहर : किसी भी क्षेत्र के सर्वांगीण विकास में बेहतर और सुगम यातायात सुविधा का विशेष योगदान माना जाता हैं। क्योंकि सुगम और बेहतर यातायात सुविधा से आर्थिक विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक, सामाजिक विकास भी होता हैं। शिवहर 1972 से पहले मुजफ्फरपुर जिला एवं 1972 से सीतामढ़ी जिला का महत्वपूर्ण अंग रहा फिर भी ! शिवहर विकास के मामले में उपेक्षित रहा एवं शिवहर के विकास में जो यातायात संबंधी समस्या थी वह जस की तस बनी रह गई।शिवहर की स्थिति उस घुँघरू की तरह होकर रह गया हैं जो कभी मुजफ्फरपुर के पग में तो कभी सीतामढ़ी के पग में बंध कर उसकी सुन्दरता बढाता रहा लेकिन स्वयं की सुन्दरता की बलि देकर अर्थात् शिवहर, मुजफ्फरपुर जिला और सीतामढ़ी जिला को विकास के पथ पर अग्रसर करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और स्वयं मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस गया। शिवहर को बद से बदतर स्थिति में पहुंचाने में यहाँ के वर्तमान जनप्रतिनिधियों से लेकर भूतपूर्व जनप्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं।
6 अक्टूबर 1994 को शिवहर के विकास को लेकर लोगों में जगी आस
‘शेर ‘ए’ बिहार’ के नाम से विख्यात व तत्कालीन बिहार के राजनीति के धुरी कहे जाने वाले पंडित रघुनाथ झा के अथक प्रयास से 6 अक्टूबर 1994 को शिवहर ने जिला का दर्जा पाया तब एक बार पुनः जिलावासियों में क्षेत्र के विकास के प्रति आस जगी। लेकिन सरकारी फाइलों में शिवहर का खूब विकास हुआ धरातल पर आज भी शिवहर मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। विगत दो वर्षों में कुछ क्षेत्रों उल्लेखनीय विकास हुआ हैं लेकिन इसका सारा श्रेय यहाँ के युवा पीढ़ी एवं वर्तमान जिला प्रशासन को जाता हैं।
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रेलगाड़ी से सफर करने के सपनों को लगा पंख
2006-2007 के रेलवे बजट में तत्कालीन रेलमंत्री श्री लालू प्रसाद यादव ने मोतिहारी, सीतामढ़ी भाया शिवहर रेललाइन परियोजना को शामिल किया उस समय जिलावासियों के रेलगाड़ी से सफर करने के सपनों को मानो पंख सा लग गया और चहुँओर खुशी की लहर दौड़ गई। मिठाईया बांटी गयी और एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगा कर खुशी का इजहार किया गया।
जिलावासियों के सपने हुए चकनाचूर
आर.टी.आई कार्यकत्ता सह समाजसेवी मुकुन्द प्रकाश मिश्र ने रेल मंत्रालय भारत सरकार से 20-5-2017 को लोक सूचना पदाधिकारी रेल मंत्रालय भारत सरकार से आर.टी.आई के तहत यह जानकारी मांगी कि बापूधाम मोतिहारी, सीतामढ़ी भाया शिवहर रेल लाईन के भूमि अधिग्रहण की वर्तमान स्थिति क्या हैं? केन्द्र सरकार (रेल मंत्रालय) के द्वारा राज्य सरकार को भूमि अधिग्रहण के लिए कब कहा? जिसका बिहार सरकार ने क्या जवाब दिया? उक्त रेल लाईन का रूट चार्ट क्या? कहाँ-कहाँ स्टेशन और हाँल्ट बनाने का प्रावधान हैं? इस रेल लाईन परियोजना में अब तक खर्च हुए 24 करोड़ किस मद में खर्च किया गया हैं?
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इन प्रश्नों के जवाब में जो उत्तर आया वह जिलावासियों के द्वारा संजोए गए सपनों को पल भर चकनाचूर कर दिया। आर.टी.आई के तहत मांगी गई जानकारी से बेहद चौकाने वाले खुलासे हुए। आवेदन के संदर्भ लगभग 5 महीने बाद एल.पी. शर्मा उप निदेशक निर्माण 11 रेलवे बोर्ड द्वारा सूचना उपलब्ध कराया गया हैं। जिसमें बताया गया मोतिहारी, सीतामढ़ी भाया शिवहर रेल लाईन परियोजना को 2006-07 के रेलवे बजट में शामिल किया गया था।
इस परियोजना के 1006.75 करोड़ रूपए के डिटेल्ड एस्टिमेट के जांच के सिससिलें में सक्षम प्राधिकारी नें परियोजना के नकारात्मत प्रतिफल दर ROR एवं आसन्न क्षेत्र में उपलब्ध रेलवे मार्ग के मद्देनजर परियोजना के क्रियान्वयन को स्थगित कर दिया गया हैं।
रेल लाओ अभियान समिति सहित जिले की सामाजिक संगठनों ने आंदोलन की चेतावनी दी
बापूधाम मोतिहारी, सीतामढ़ी भाया शिवहर रेल लाईन परियोजना को ठंडे बस्ते में डालने की खबर से रेल लाओ अभियान समिति सहित जिले के सामाजिक संगठनों में आक्रोश हैं। संघर्षशील युवा अधिकार मंच शिवहर एवं रेल लाओ अभियान समिति की संयुक्त बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आगामी 28 अक्टूबर को एकदिवसीय अनशन कर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और सड़क से लेकर संसद तक आंदोलन के माध्यम से दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय को वापस लेने के लिए सरकार को मजबूर किया जाएगा।
स्थानीय सांसद रमा देवी से घटनाक्रम पर अपनी स्थिति साफ करने की मांग की गई
रेल लाओ अभियान समिति एवं संघर्षशील युवा अधिकार मंच के संयुक्त बैठक में स्थानीय सांसद रमा देवी से परियोजना स्थगन को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर अपनी स्थिति साफ करने की मांग जोर-शोर से मांग उठी साथ ही यह आरोप लगाया कि वर्तमान सांसद ने इस मुद्दें पर जिले की जनता के आवाज को संसद में मजबूती से नहीं उठा पाई एवं जिले की जनता को गुमराह कर अंधेरे में रखने का कार्य किया हैं जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं और आगामी चुनाव में जनता इसका हिसाब लेगी ।
लगता अगली पीढ़ी को भी करना पड़ सकता हैं इंतजार
मोतिहारी, सीतामढ़ी भाया शिवहर रेल लाईन परियोजना के क्रियान्वयन को रेल मंत्रालय द्वारा स्थगित करने के दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय से जहां एक ओर वर्तमान पीढ़ी को यातायात की इस सुगम व्यवस्था से महरूम होना पड़ेगा ही तो दूसरी भावी पीढ़ी को भी इस सुविधा के लिए इंतजार करना पड़ सकता हैं।
[स्रोत- संजय कुमार]