राजनाथ सिंह ने कहा, राष्ट्र सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रोहिंग्या मुसलमानों को देश में नहीं रख सकते

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने रोहिंग्या मुसलमानों के संबंध में एक बड़ा बयान दिया है उन्होंने कहा है कि राष्ट्र सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किसी भी रोहिंग्या मुसलमान को भारत में जगह नहीं मिलेगी क्योंकि रोहिंग्या मुसलमान देश के लिए खतरा है और उनके आतंकवादी समूह और पाकिस्तान से जुड़े होने के सबूत भी है.Rajnath Singhसाथ ही केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यह भी कहा है म्यांमार से घुसे लोग शरणार्थी नहीं है उनके पास जरूरी दस्तावेज नहीं है, किसी भी रोहिंग्या मुसलमान ने उस प्रक्रिया को पूरा नहीं किया है जो एक रिफ्यूजी स्टेटस प्राप्त करने के लिए जरूरी होती हैं. हालांकि अब तक यही बातें सामने आती रही हैं कि भारत के अंदर इस समय 40,000 रोहिंग्या मुसलमान उपस्थित हैं और उनमें से 12,000 के पास जरूरी शरणार्थी दस्तावेज प्राप्त हैं मगर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यह साफ कर दिया है कि किसी भी रोहिंग्या मुसलमान के पास रिफ्यूजी स्टेटस प्राप्त करने के लिए जरूरी दस्तावेज नहीं है और किसी ने भी रिफ्यूजी स्टेटस को प्राप्त करने का प्रोसेस फुल फील नहीं किया है.

[CC: ANI News Official]




राजनाथ सिंह ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा है अगर रोहिंग्या मुसलमान भारत को छोड़ता है तो लोगों को उसमें क्या आपत्ति है और म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू ने भी यह साफ कहा है कि वह रोहिंग्या मुसलमानों को वापस लेने के लिए राजी है और उनके लिए रिफ्यूजी वेरिफिकेशन कैंप भी चला रहा है.

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर यह आरोप लगाया है कि रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने के नाम पर परेशान किया जा रहा है साथ ही कहा हैं कि हर रोहिंग्या मुसलमान अपराधी नहीं है और आतंकी नहीं है. इसलिए उन्हें वापस नहीं भेजा जाना चाहिए. जबकि म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू ने अपने एक बयान में कहा है कि हमने रोहिंग्या मुसलमानों को अपने देश में जगह दी मगर नतीजा क्या मिला, उन्होंने हमारी पीठ में छुरा घोपा, हम पर हमले किए.

15 सितंबर 2017 को एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी इंटरनेशनल लॉ का हवाला देते हुए केंद्र सरकार और मोदी जी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब तस्लीमा नसरीन आपकी बहन बन सकती है तो रोहिंग्या मुसलमान आपका भाई क्यों नहीं बन सकता.

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तो इस पर राजनाथ सिंह ने यह भी साफ कर दिया है कि रोहिंग्या मुसलमानों को भारत से निकालकर हम किसी इंटरनेशनल लॉ का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं क्योंकि भारत 1951 UN Refugee Convention का हस्ताक्षरकर्ता भी नहीं है. इसलिए Human Right का हवाला देकर उनको रिफ्यूजी बताने की गलती ना करें.

सान सू ने ने अपने बयान में यह भी साफ कहा है कि हम विकास और शांति की स्थापना के कार्यक्रम को भलीभांति जारी रखेंगे जो म्यांमार वापस आना चाहते हैं उन का तहे दिल से स्वागत है मगर आतंकवादी गतिविधियों और नस्ल या धर्म के नाम पर उपद्रव करने वाले आरोपियों को दंडित भी किया जाएगा.

इसी बात का जिक्र करते हुए राजनाथ सिंह ने यह बात कही है कि जब म्यांमार उनको वापस लेना चाहता है तो ऐसे में उनको भारत रोकने पर जोर क्यों दिया जा रहा है और ऐसे में उनको भारत में रोकना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा है कि जब हमारे पास उनके आतंकवादी समूह से जुड़े होने के पुख्ता सबूत भी है.

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