देश में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने रोहिंग्या मुसलमानों को देश से निष्कासन करने की बात कही थी तभी से यह मामला गरमाया हुआ है। बता दें कि भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान अवैध रूप से रह रहे हैं, जिन्हें भारत से वापस भेजने की आवाज तेज हो रही है। रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है जिसकी सुनवाई सोमवार यानी कि कल होनी है।
कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान
रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार के नागरिक हैं जिन्हें म्यांमार अपनाने को तैयार नहीं है। रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय को इस समय दुनिया का सर्वाधिक प्रताड़ित अल्पसंख्यक समुदाय माना जा रहा है। यह मुस्लिम सुन्नी संप्रदाय से हैं तथा बांग्ला बोलते हैं। म्यांमार में रोहिंग्या की आबादी करीब 10 लाख है और करीब इतनी ही संख्या में रोहिंग्या मुस्लिम भारत, पाकिस्तान, बग्लादेश और अन्य पूर्वी एशियाई देशों में शरणार्थी के रूप में जीवन यापन कर रहे हैं। पिछले 10 सालों में करीब 2 लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमानों ने म्यांमार को छोड़कर बांग्लादेश, भारत और नेपाल के देशों में पनाह ली है। जिसमें करीब 40 हजार के करीब रोहिंग्या भारत में अवैध तरीके से पनाह लिए हुए हैं।
रोहिंग्या को म्यांमार क्यों नहीं मानता नागरिक
म्यांमार में करीब 10 लाख रोहिंग्या मुस्लिम रहते हैं और अधिकतर रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहते है। लेकिन म्यांमार ने इन्हें अपना मूल निवासी मानने से इनकार कर दिया है क्योंकि म्यांमार का कहना है कि यह लोग बांग्लादेशी हैं और वहां से भागकर उन्होंने म्यांमार में शरण ली है। रोहिंग्या मुस्लिम कई पीढ़ियों से म्यांमार में रह रहे है लेकिन म्यांमार में अधिकांश आबादी बौद्धों की है जो कभी उनसे घुल मिल नहीं पाए हैं। म्यांमार द्वारा उन्हें हमेशा बांग्लादेश वापस जाने की चेतावनी दी जाती है परंतु बांग्लादेश भी उन्हें अपना नागरिक नहीं मानता।
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इन्हीं सब के चलते रोहिंग्या मुस्लिमों का कोई स्थिति ठिकाना नहीं बन पाता और वह खानाबदोश की जिंदगी जीने पर मजबूर हैंं, पिछले कुछ समय से म्यांमार में सेना और सुरक्षाबलों के बीच रोहिंग्या मुस्लिमों को लेकर अभियान छिड़ा हुआ है, म्यांमार से रोहिंग्या मुस्लिम्स को भगाया जा रहा है।
भारत सरकार क्यों भेजना चाहती है वापस
भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिम अवैध रूप से रह रहे हैं जो कि भारत की सुरक्षा की दृष्टि से खतरा हो सकते हैं। रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय पर आतंकवादियों से कनेक्शन का आरोप लगता रहता है, इसी वजह से भारत के अलावा अन्य देश भी इन्हें शरण देने को राजी नहीं होते। भारत के सामने 40 हजार रोहि़ग्याओं की रोजी-रोटी से भी बड़ा सवाल देश की सुरक्षा का है।
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भारत सरकार का यह सोचना लाजमी है क्योंकि एक कौम जो अपने ही देश के द्वारा दुत्कार दी गई हो और उसका रहने व खाने का कोई ठिकाना ना हो, ऐसी आबादी आतंकवादी संगठनों के झांसे में आसानी से आ सकती है। और इस बात के कुछ गुप्त सबूत भी सरकार को मिले हैं, पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन इन्हें अपने चंगुल में लेने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में भारत सरकार भारत में शरण ले चुके 40 हजार के शरणार्थियों को 40 हजार बारूद के ढेर के रूप में देख रही है जो कि भारत के लिए सुरक्षा की दृष्टि से सोचना लाजमी है।