भारत सदैव चाहता है कि उसके अपने पड़ोसी देशों के साथ मधुर संबंध बने रहे जिसके लिए वह सदैव प्रयासरत रहता है। पर भारत की सीमा पर कुछ ऐसे भी पड़ोसी देश है, जो भाईचारे की भाषा को मानते हुए भी सदैव पीठ में छूरा घोंपने की नीति का अनुसरण करते है। इसके बावजूद भारत उनको सुधरने के कई मौके देता रहता है, जिसे वह भारत की कमजोरी और उसकी कायरता समझ लेते है। किसी भी देश की शांतिपूर्ण निती को अगर दूसरा राष्ट्र उसकी कायरता समझ लेता है तो यह दूसरे मुल्क की छोटी सोच का सबूत है।
ऐसी ही छोटी सोच को समझने का कार्य हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान ने किया है। पाक ने भारतीय पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा अपने आर्मी कोर्ट में दी थी। जिसे देने का मकसद पाक का केवल इतना था कि वह हिंदुस्तान को बता सके कि यदि उसकी सीमा में कोई प्रवेश करेगा तो उसका वही हाल होगा जो जाधव का किया है।
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यह पहली बार नहीं हुआ है जब पाकिस्तान ने अपनी ओछी हरकत का सबूत दिया है। इससे पहले भी वह ऐसा भारत की सीमा पर शांति समझौते को दरकिनार करते हुए कई बार विशवासघात कर चुका है या फिर गलती से सीमा पार किए हुए भारतीय नागरिकों को , कुलभूषण को पाक ने यह कहकर पकड़ा था कि ये बलूचिस्तान में विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहे थे और ये भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ के कर्मचारी हैं । इन्हीं झूठे आरोपों में तहत फसाकर उन्हें अपनी जेलों में सड़ने के लिए छोड़ देता है।
यदि उसकी इस हरकत का अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर विरोध होता है तो वह अपनी इन करतूतो को छुपाने के लिए उसे अनुचित ढंग से अंजाम देने की कोशिश करते है, जैसा उन्होंने सरबजीत के समय उसे पाकिस्तानी जेल में मरवा कर किया था और अब वही चाल दुबारा उसने कुलभूषण के मामले में चली थी।
कुलभूषण को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने पाकिस्तान के प्रांत बलूचिस्तान में जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों में शामिल है के चलते फांसी की सज़ा सुनाई थी। जिसमें पाकिस्तान ने उन्हें लगभग एक साल पहले गिरफ़्तार करने का दावा किया था और कहा कि जाधव ने खुद एक विडियों में अपना गुनाह कबूलते हुए कहा कि वह भारत के रॉ ऐजेंट है। जिसे पाकिस्तान सरकार की जासूसी करने के लिए भारत ने भेजा था।
वही जब इस कबूलनामे की हकीकत का पता लगाया तो पता पाया कि जिस जाधव के कबूलनामें की विडियो की बात पाकिस्तान कर रहा है उस विडियों में 32 कट है। इतना ही जब इस मसले पर भारत ने जाधव से मुलाकात करने की मांग पाकिस्तान के आलाकमानों के बीच रखी थी, उन्होंने इस मांग को एक सिरे से खारिज कर दिया गया।
जिसके बाद भारत ने अपने पूर्व सैनिक की जान बचाने के लिए अंतरर्राष्ट्रीय न्यायलय का सहारा लेते हुए अदालत में यह दलील दी थी कि पाकिस्तान से ये सुनिश्चित करने को कहा जाए कि कुलभूषण सुधीर जाधव को तब तक फांसी नहीं दी जाए जब तक सभी विकल्पों पर विचार न हो जाए। जिससे इस संधि के तहत जाधव की फांसी को अनुचित ठहराकर फांसी को रुकवाया जा सके। जिससे बाद आईसीजे ने भारत की इस दलील को मानते हुए जाधव की फांसी को रुकवा दिया।
भारत की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुई इस जीत के आगे अब पाकिस्तान को भी झुकना पड़ा। जिसका हालिया उद्हारण पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने जाधव मामले में ताजा ब्यान जारी कर कहा है कि जाधव को तब तक पाकिस्तान में फांसी नहीं होगी जब तक वह अपनें बचने के सभी तरीकों को अपना नहीं लेता। पाकिस्तान के उच्चायुक्त का यह ब्यान भारत को उसकी पड़ोसी मुल्कों के प्रति उदार नीति का नमूना है
विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न “अनामिका मिश्रा” ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com