अक्षय तृतीया हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन धर्मिक और सामाजिक महत्व होता है जब लोग सुबह जल्दी उठकर अपने परिवारों के साथ विशेष पूजा-अर्चना और दान-धर्म करते हैं।
इस त्योहार को अक्षय कहा जाता है क्योंकि यह सदैव चलता रहता है। यह त्योहार वैशाख माह में आता है, जब सूर्य वैशाख राशि में होता है। इस दिन के दानों का अद्भुत फल होता है जिससे लोग अमित धन और सुख की प्राप्ति करते हैं।
अक्षय तृतीया को भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे आप अपने राज्य में सुनते होंगे। इस त्योहार में जगह-जगह पर्वतारोहण, यात्राएं, मेले आदि कार्यक्रम होते हैं।
अक्षय तृतीया पर धन प्राप्ति के लिए लोग अलग-अलग तरीके से दान करते हैं। सोना, चांदी, गहने, वस्तुएं आदि उन चीजों में से कुछ हैं।
अक्षय तृतीया के नाम में अक्षय शब्द का अर्थ होता है जो अपरिहार्य तथा अविनाशी होता है। इस दिन लोग बहुत से दान देते हैं जो उन्हें अनंत फल देते हैं। इस दिन कुछ लोग नए वाहन खरीदते हैं, नए घर खरीदते हैं या विवाह आदि के कार्य करते हैं।
इस त्योहार का महत्व हिंदू धर्म में बहुत ही उच्च माना जाता है। इस दिन लोग अपने कर्मों को अक्षय बनाने का प्रयास करते हैं ताकि उन्हें अनंत फल मिल सके। इस दिन भगवान विष्णु के जन्म की भी धूम धाम से मनाई जाती है।
अक्षय तृतीया भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ में इसे अकड़ा पर्व के नाम से जाना जाता है और ओडिशा में इसे खटु शिवरात्रि कहा जाता है।अक्षय तृतीया एक हिंदू त्योहार है जो वर्ष में एक बार मनाया जाता है। यह त्योहार भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है, लेकिन इसे सबसे अधिक पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है।
अक्षय तृतीया का दिन सूर्य और चंद्रमा के एक साथ दिखने के दिन के रूप में माना जाता है। इस दिन लोग सोने या चांदी के आभूषण खरीदते हैं या घर के लिए नए सामान की खरीदारी करते हैं। इस दिन लोग भी धार्मिक कार्यों के लिए बड़े धर्मस्थलों पर जाते हैं।
अक्षय तृतीया का त्योहार महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन की पूजा से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन का त्योहार धन की वृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इस दिन अपनी योजनाओं को शुरू करने के लिए भी उत्तम माना जाता है।इस दिन कुछ लोग धर्मिक कर्म भी करते हैं जैसे कि तुलसी के पौधे लगाना, सुबह उठकर स्नान करना, दान देना आदि। इस दिन का महत्व भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग होता है लेकिन इस त्योहार के पीछे एक ही दृष्टिकोण होता है, जो है धन एवं समृद्धि|