हमारे देश मे 31 मार्च 2018 तक हर दिन 14.68 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन हो रहा था। देश मे दूध की खपत 480 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है। देश की आबादी 135 करोड़ है। इस लिहाज से देश मे 64 करोड़ लीटर से ज्यादा दूध की खपत होती है। अर्थात उत्पादन से 4 गुना ज्यादा खपत होती है।
अब प्रश्न उठता है कि यह अतिरिक्त दूध आता कहाँ से है? या तो विदेशों से आयात होता है या फिर देश मे कृत्रिम और मिलावटी दूध भी बिकता है।
आम तौर पर लोग सोचते हैं कि दूध में पशुपालक पानी की मिलावट करते हैं। मिलावट बुरी बात है, चाहे पानी ही मिलाएं। लेकिन देश मे कृत्रिम और सिंथेटिक दूध भी बेचा जाता है, जो सबसे ज्यादा जहरीला है। इस कृत्रिम दूध में डिटरजेंट, सफेद पेंट, यूरिया, ग्लूकोज़, स्टॉर्च, फॉर्मेलिन जैसी चीजें मिलाई जाती हैं, जो काफी खतरनाक हैं।
एक डेटा के अनुसार भारत मे बिक रहे कुल दूध का तकरीबन 67.8% हिस्सा फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैण्डर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) द्वारा तय किए गए स्टैण्डर्ड के मुताबिक नही है।
पानी की मिलावट से आपको दूध की मात्रा कम मिल सकती है लेकिन आप जहर से बच जाओगे। क्योंकि पानी किसी भी स्थिति में जहरीला नही हो सकता। अतः दूध बाजार की अपेक्षा अपने पड़ोसी से खरीदो ताकि आपके बच्चों को जहर न पीना पड़े।
फिर भी न्यूज जितेन्द्र सिंह तहसील आलोट जिला रतलाम