Video: यूपी में एक महिला को 7 घंटे तक पेड़ से बांधकर बेल्ट से पीटा गया और पब्लिक देखती रही

20 मार्च 2018 को बुलंदशहर के स्याना तहसील के लौंगा गांव में सुबह-सुबह एक पंचायत हुई. इस पंचायत में सैकड़ों लोग मौजूद रहे और पंचायत के पंचों ने एक फैसला सुनाया जिसमें एक महिला को पेड़ से बांधकर पिटाई की जाए और इस देश की उच्च कोटि की प्रशिक्षित जनता ने उस महिला को पेड़ से बांधकर पिटाई करते हुए पंचायत के फैसले पर तुरंत अमल कर दिया. यह पिटाई 7 बजे से स्टार्ट होकर 2 बजे तक चलते रही और सैकड़ों लोगों के बीच वह महिला पिटती रही.UP me Mahila ko pita gyaजी हां यह हकीकत है कोई मनगढ़त कहानी नहीं. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के लौंगा गांव एक शादीशुदा महिला 5 मार्च को अपने पड़ोसी धर्मेश लोधी के साथ कहीं चली गई गांव वाले उसे खोजने में लग गए और 10 मार्च को उस महिला को खोज निकाला और गांव वापस लेकर आए एक शादीशुदा महिला का किसी दूसरे मर्द के साथ जाना गांव के लोगों को इतना नागवार गुजरा की महिला के पति सौदान सिंह की गुजारिश पर गांव में 20 मार्च को एक पंचायत हुई और उस पंचायत में महिला को पीटने की सजा का ऐलान हुआ और नतीजन उस महिला को 7 घंटो तक पेड़ से बांधकर पीटा गया.

पीटने के अलावा जब वह घर पहुंची तो उसके अलावा और कई तरीके की अश्लील हरकतें हुई तथा शिकायत करने पर उसे जान से मारने की धमकियां तक दी गई. हालांकि गांव के पूर्व प्रधान ने इस घटना का वीडियो बना लिया और उसे सोशल मीडिया पर डाल दिया वीडियो वायरल होते ही मामला पुलिस के पास पहुंचा और वहीं महिला ने भी इस मामले की कोतवाली में तहरीर दी. अगले ही दिन 21 मार्च को पुलिस ने वीडियो की जांच की और मामले को सही पाया उसके बाद पुलिस ने 22 मार्च को 7 लोगों को नामजद कर और 12 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया इस संबंध में पुलिस ने ग्राम प्रधान शेर सिंह और महिला के पति सौदान सिंह व एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है.

स्याना थाना प्रभारी अल्ताफ अंसारी ने मीडिया को बताया कि जो व्यक्ति नामजद हैं और वीडियो छानकर निकाले जा रहे हैं उन्हें भी जल्द ही गिरफ्तार कर सजा दिलाई जाएगी. यह बात तो सही है मगर जो व्यक्ति पिटाई के दौरान वहां मौजूद थे उनका क्या क्या यह कानून उन्हें कुछ सजा नहीं देगा एक महिला को बांधकर पीटना किस तरीके का कानून है और जब कोर्ट भी कह चुकी है कि ग्राम पंचायत हर एक मामले को अपने हाथ में ना लें तो फिर इस तरीके के फैसले सुनाना किस बात का सबूत है.

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