दुर्ग : जिले में लोकसुराज अभियान के तहत जनसामान्य से प्राप्त आवेदनों, उनकी विभिन्न समस्याओं और मांगों के निराकरण की जानकारी देने और उन्हें विभिन्न योजनाओं- सेवाओं और कार्यक्रमों से लाभान्वित कराने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सेक्टर स्तर पर तथा नगरीय निकाय क्षेत्रों में चार-पांच वार्डों में किसी एक वार्ड में समाधान शिविर का आयोजन किया जाएगा ।
दुर्ग जिले में कुल 104 समाधान शिविर का आयोजन किया जाना है । इनमें ग्रामीण क्षेत्रों में सेक्टर स्तर पर 31 व नगरीय निकाय क्षेत्रों में 73 समाधान शिविर का आयोजन किया जाएगा । कलेक्टर उमेश कुमार अग्रवाल ने आज अधिकारियों की बैठक लेकर समाधान शिविर के आयोजन की तैयारी की समीक्षा की । कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि समाधान शिविर के आयोजन हेतु सभी तरह की प्रशासनिक तैयारी पूर्ण कर लिया जाए ।
शिविर आयोजन के दौरान किसी भी प्रकार की अव्यवस्था व कमी ना हो, यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए । शिविर के सफल आयोजन हेतु शहरी क्षेत्र के लिए अपर कलेक्टर संजय अग्रवाल को जिम्मेदारी दी गई है । साथ ही साथ नगरीय निकाय के अधिकारी को तथा जोन व सेक्टर, वार्ड वार अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है ।
इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में शिविर के सुचारू रूप से संचालन एवं सफल आयोजन हेतु सीईओ जिला पंचायत आर.के. खुंटे को जिम्मेदारी दी गई है । इसके अलावा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को तथा सेक्टर एवं ग्राम पंचायत व वार्ड वार अधिकारियों की भी ड्यूटी लगाई गई है । प्रत्येक सेक्टर व वार्डवार शिविर के आयोजन हेतु नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई है ।
समाधान शिविर स्थल पर ब्लाक एवं सेक्टर स्तर के अधिकारी अनिवार्य रूप से उपस्थित रहेंगे । विभागों को प्राप्त आवेदनों के आधार पर संबंधित आवेदक को आवेदनों की निराकरण की जानकारी दी जाएगी । साथ ही साथ उनकी समस्या और मांग के आधार पर उन्हें सामग्री व अन्य सुविधाओं से लाभान्वित किया जाएगा । निर्धारित स्थान पर विभिन्न विभागों के द्वारा अपने-अपने विभागों से संबंधित विभागीय योजनाओं को प्रदर्शित करते हुए फ्लैक्स का प्रदर्शन किया जाएगा ।
तीसरा चरण समाधान शिविर का आयोजन 12 मार्च से 31 मार्च तक –
12 मार्च से 31 मार्च के मध्य लगभग 10 पंचायतों के मध्य एक समाधान शिविर का आयोजन किया जाएगा । जिसमें इन आवेदनों के निराकरण की जानकारी आवेदकों को दी जाएगी । इसी प्रकार नगरीय निकायों में भी आवश्यकतानुसार शिविर आयोजित किए जाएंगे । समाधान शिविरों में प्राप्त आवेदनों को यथासंभव निराकरण शिविर के दिन किया जाएगा, शेष आवेदनों का निराकरण आगामी एक माह में कर, आवेदकों को सूचित किया जाएगा। मांग से संबंधित आवेदनों का निराकरण बजट की उपलब्धता अनुसार नियमानुसार किया जाएगा ।
इन शिविरों में सरकार की विभिन्न जनहितकारी योजनाओं की जानकारी दी जाएगी तथा विभिन्न हितग्राही मूलक योजनाओं के लिए आवेदन पत्र-प्रपत्र भी उपलबध कराए जाएंगे । प्रत्येक शिविर के लिए एक खंड स्तरीय अधिकारी को प्रभारी अधिकारी बनाया जाएगा, ताकि वह उचित समन्वय से शिविरों की सार्थकता सुनिश्चित कर सके । शिविरों में विकासखण्ड स्तर, सब-डिवीजन स्तर के सभी अधिकारी उपस्थित रहेंगे, जिला स्तर से भी कुछ अधिकारी उपस्थित रहेंगे । इसी तरह की व्यवस्था नगरीय निकायों के शिविरों में भी की जाएगी ।
मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रीगण, मुख्य सचिव, प्रभारी सचिव एवं राज्य शासन के अधिकारी भी कुछ शिविरों में भाग लेंगे तथा कुछ आवेदकों से भेंट कर उनकी समस्याओं व निराकरण के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे ।
विकास कार्यों का होगा औचक निरीक्षण –
प्रदेश में चल रहे विभिन्न विकास कार्यों, योजनाओं के क्रियान्वयन का औचक निरीक्षण मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह द्वारा किया जाएगा । विभिन्न योजनाओं से लोगों को मिल रहे लाभ के बारे में फीडबैक लिया जाएगा । सरकारी अस्पताल, छात्रावास, विद्यालय, आंगनबाड़ी केन्द्र, महाविद्यालय, तहसील कार्यालय, राशन दुकान, बस स्टैण्ड, परियोजना कार्यालय आदि से लेकर खेत-खलिहानों और चैपालों तक, कहीं भी जाकर आकस्मिक निरीक्षण करेंगे तथा जनता से फीडबैक लेंगे । मंत्रीगण, संसदीय सचिव तथा प्रभारी सचिव भी अपने स्तर पर यह प्रक्रिया अपनाएंगे ।
मुख्यमंत्री, दोपहर पश्चात् जिला मुख्यालय पर अधिकारियों की बैठक लेंगे । जिसमें समाधान शिविर में प्राप्त आवेदनों के निराकरण तथा विभिन्न योजनाओं तथा परियोजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा की जाएगी । आगामी कार्ययोजना पर चर्चा की जाएगी । राज्य स्तर से बिन्दुवार समीक्षा बैठक उपलब्ध कराए जाएंगे । प्रेस काॅन्फरेंस तथा अन्य कार्यक्रम: रात्रि विश्राम वाले स्थानों पर गणमान्य नागरिकों, विद्यार्थियों, समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों आदि से भेंट करेंगे । समीक्षा बैठक के उपरांत या अन्य उपयुक्त समय पर वे प्रेस काॅन्फरेंस को संबोधित भी करेंगे ।
मंत्री तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों का दौरा –
प्रदेश के मंत्री एवं जिला प्रभारी मंत्रीगण तथा सचिवगण अपने-अपने प्रभार के जिलों में निरीक्षण तथा समीक्षा करेंगे । इन कार्यक्रमों का समन्वय कलेक्टरों के द्वारा किया जाएगा ।
गुणवत्ता की निगरानी होगी –
आवेदन पत्रों के समाधान की गुणवत्ता की भी निगरानी की व्यवस्था की जाएगी, जो जिला तथा राज्य स्तर पर होगी । वेबसाइट में जिला स्तर पर प्रगति, प्रेस नोट, मीडिया कवरेज आदि सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी ।
जनप्रतिनिधियों की भागीदारी –
जिला कलेक्टरों की यह जिम्मेदारी भी होगी कि वे स्थानीय सांसदों, विधायकों तथा अन्य जनप्रतिनिधियों को इस आयोजन से जोड़े और उन्हें यथोचित जानकारियां समय पर उपलब्ध कराएंगे ।
[स्रोत- घनश्याम जी.बैरागी]