चूरू जिले की ये कहानी पढ़ने के बाद आप सलाम करोगे इस पुलिस वाले को

हम आज राजस्थान पुलिस के एक ऐसे सिपाही की कहानी लेकर आये है, जिसको पढ़ने के बाद आप इस सिपाही को सलाम करने पर मजबूर हो जाओगे। राजस्थान पुलिस का ये सिपाही ‘आपणी पाठशाला’ के लिए जिले में जाना जाता है।

चूरू जिले की ये कहानी पढ़ने के बाद सलाम करोगे इस पुलिस वाले को आप

ये कहानी है राजस्थान के चूरू जिले में सिपाही के पद पर तैनात और राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानने वाले धर्मवीर जाखड़ की जो चूरू के महिला पुलिस थाने के पास भीख मांगने वाले झुग्गी- झोपड़ियों के बच्चों से कटोरा लेकर उन्हें आपणी पाठशाला में लाकर कलम थमा देता है।

कौन है धर्मवीर जाखड़ :-

चूरू जिले की राजगढ़ तहसील के गांव खारिया के एक साधारण से परिवार में श्रीमान उमेद सिंह जी जाखड़ के घर धर्मवीर जाखड़ का जन्म हुआ। धर्मवीर जाखड़ राजस्थान पुलिस में 2011 में भर्ती हुआ। एवम फ़िलहाल चूरू में तैनात है।

आपणी पाठशाला खोलने का विचार कहा से आया :-

जब धर्मवीर जाखड़ से पूछा गया कि आपणी पाठशाला खोलने का विचार आपको कहा से आया तो इसका उत्तर देते हुए धर्मवीर जाखड़ कहते है कि जब मै थाने में अपनी ड्यूटी करता था, तो वहा कुछ बच्चे हमेशा भीख मांगने आते थे। तो मेरे मन में हमेशा एक विचार आता था, की इनको भीख देने से इनका भला नहीं होगा।

चूरू जिले की ये कहानी पढ़ने के बाद सलाम करोगे इस पुलिस वाले को आप

इससे केवल भिक्षावर्ती को ही बढ़ावा मिलेगा। मुझे इन बच्चों को भीख नही देनी चाहिए बल्कि कुछ ऐसा करना चाहिए की ये भीख न मांगे। तब मुझे इन्हें पढ़ाने का विचार आया परंतु उसमे एक समस्या थी की इन बच्चों को पढ़ाई के लिए राजी कैसे किया जाये। बाद मै मैंने इनके भीख मांगने के कारणों का पता लगाया जिसमे मुझे पता लगा की अगर हम इनकी मुलभुत आवश्यकताओं की पूर्ति करे तो ये बच्चे भीख को छोड़ कर पढ़ने आ सकते है। तब जाकर हमने आपणी पाठशाला खोली, जिसमे हमने इन बच्चों की मुलभुत आवश्यकताओं को पूरा करते हुए इन्हें पढ़ाना शुरू किया।

आपणी पाठशाला का धेय्य :-

धर्मवीर जाखड़ द्वारा 1जनवरी 2016 से शुरू इस पाठशाला का मुख्य धेय्य है कि भीख मांगने वाले बच्चों से कटोरा लेकर उनके हाथ में कलम थमाई जा सके, ताकि वो मुख्य धारा में आकर राष्ट्र निर्माण में सहयोग दे। इस पाठशाला में समाज के दान दाताओं के सहयोग से बच्चो को किताब, बैग, यूनिफार्म, भोजन जैसी मुलभुत चीज़े निःशुल्क उपलब्ध करवाई जाती है। और वर्तमान में इस पाठशाला में 150 से अधिक बच्चे अध्ययन कर रहे है।

[स्रोत- विनोद रुलानिया]

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