केरल लव जिहाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा कि हादिया बालिग है और उसने अपनी मर्जी से शादी की है इसलिए एनआईए जांच नहीं कर सकती और जांच तब माननीय थी जब लड़की की मर्जी के बिना शादी हुई है. इस फैसले से मुस्लिम युवक शफीन जहां और से शादी करने वाली हादिया को राहत मिली. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा ने की.चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा हादिया बालिग है इसलिए कोर्ट की शादीशुदा जिंदगी में कोई भी दखलअंदाजी नहीं कर सकता और साथ ही राष्ट्रीय जांच सुरक्षा एजेंसी भी हादिया के मैरिटल स्टेटस की जांच नहीं कर सकता.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मामले की सुनवाई के लिए दिल्ली आयी हादिया ने एयरपोर्ट पर चिल्लाते हुए कहा था कि वह एक मुसलमान है और उससे किसी प्रकार की कोई जबरदस्ती नहीं की गई है अगर मैं अपने पति के साथ रहना चाहती हूं तो इसमें क्या गलत है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट जाना चाहती थी कि हड़िया ने अपनी मर्जी से शादी की है या नहीं इसलिए हादिया को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था.
हालांकि हादिया के पिता ने सफीन जहां पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उसने उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर शादी की है और वह उसे इस्लामिक उग्रवादी संगठन इराक और सीरिया में आईएस आई के घर ले जाना चाहता है और केरल हाईकोर्ट ने इस जोड़े की शादी को अवगत दिसंबर रद्द कर दिया था मगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इस जोड़े को राहत की सांस मिली.