महाराष्ट्र में सभी भारतीय राज्यों में सबसे अधिक शहरीकरण हुआ हैं। इसे भारत का शक्तिकेन्द्र माना जाता है और इसकी राजधानी मुंबई भारत के वित्तीय और वाणिज्यिक बाजारों का केन्द्रीय बिन्दु है। मुंबई के सबसे बड़े व्यवसाय केन्द्र होने के कारण विश्व भार के निवेशक इसकी ओर आकर्षित होते हैं। जबकि पुणे, महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बडा शहर, राज्य की सांस्कृतिक राजधानी है और तेजी से मुख्य औद्योगिक शहर में विकसित हो रहा है।
महाराष्ट्र सरकार ने दावा किया है कि पिछले तीन सालों में राज्य में जोरदार निवेश हुआ है। राज्य सरकार के अनुसार महाराष्ट्र इलेक्ट्रानिक नीति के अंतर्गत राज्य में 5,053 करोड़ रुपये और सूचना प्रौद्योगिकी में 829 करोड़ रुपये का निवेश आया है।
राज्य सरकार ने अगले पांच सालों में राज्य में 300 करोड़ डॉलर के निवेश के साथ 1200 करोड़ डॉलर के कारोबार का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही, 1 लाख अतिरिक्त रोजगार सृजित होने का भी दावा किया गया था।
महाराष्ट्र आईटी नीति, 2015 को मंत्रिमंडल ने जून, 2015 में मान्यता दी थी। इस नीति के तहत राज्य में १० लाख तक रोजगार सृजन, प्रति वर्ष एक लाख करोड़ रुपये का निर्यात तथा आईटी पार्क की स्थापना के लिए 50 हजार करोड़ रुपये के निवेश के लक्ष्य रखे गए थे।
उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने कहा कि इस साल जनवरी से सितंबर तक महाराष्ट्र में 50 विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से 9,122 करोड़ रुपये का निवेश आया जबकि इस दौरान गुजरात में 42 परियोजनाओं में 6,743 करोड़ रुपये का निवेश हुआ।
इन सबके साथ-साथ महाराष्ट्र सरकार राज्य में पूंजीगत निवेश के प्रवाह को बढाने के लिए सभी प्रयास कर रही है। यह उद्योग और व्यवसाय के विकास को कई दूरदर्शी नीति संबंधी पहलों और प्रोत्साहनों के माध्यम से सहयोग दे रही है।
इन नीतियों का उद्देश्य लोगों के जीवन स्तर को सुधारना और राज्य के समग्र विकास का संवर्धन करना है। इसके परिणाम स्वरूप कई निवेशकों ने राज्य में अपनी इकाइयां स्थापित करने के लिए महाराष्ट्र में रुचि दिखाई है।
उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि-प्रसंस्करण, वस्त्र, आटोमोबाइल्स, जैव प्रौद्योगिकी जैसे भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में औद्योगिक इकाइयां स्थापित की हैं।
[स्रोत- बालू राऊत]