यूपी सरकार ने आईपीएस अधिकारी हिमांशु कुमार को सस्पेंड कर दिया है. हिमांशु कुमार को अनुशासनहीनता के आरोप में सस्पेंड किया गया है. हिमांशु कुमार ने ट्विटर पर अपने वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा खास जाति के अफसरों को टारगेट करने का आरोप लगाया था. हिमांशु के सस्पेंशन के बाद राजनीति तेज हो गई हैं.
चुनाव खत्म हो गए लेकिन जात की राजनीति खत्म नहीं हुई है. एक आपीएस अफसर के सस्पेंशन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. सस्पेंशन को अफसर की जात से जोड़ा जा रहा है. यूपी के इस आईपीएस अधिकारी ने वरिष्ठ अधिकारियों पर जातिगत भेदभाव करने का आरोप लगाया था. योगी आदित्यनाथ सरकार ने अफसर हिमांशु कुमार को सस्पेंड कर दिया.
हिमांशु कुमार को अनुशासनहीनता के आरोप में सस्पेंड किया गया है. हिमांशु कुमार ने ट्विटर पर अपने वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा खास जाति के अफसरों को टारगेट करने का आरोप लगाया था. यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मोर्य ने कहा है कि हिमांशु को जाती की वजह से नहीं अनुशासहीनता की वजह से सस्पेंड किया गया.
इस मामले ने ज्यादा तूल तब पकड़ लिया जब पूर्व सीएम अखिलेश की एंट्री हुई. अखिलेश ने कहा योगी सरकार एक जाती के पुलिस वालों को सस्पेंड या ट्रांसफर कर रही है.
आईपीएस अधिकारी हिमाशु पर उनकी पत्नी की तरफ से दर्ज कराए गए दहेज उत्पीड़न का मामला भी चल रहा है. हिमांशु इस मुक़दमे में वांछित चल रहे हैं. 2 मार्च को उनके खिलाफ बिहार की एक अदालत से वॉरंट जारी हुआ था. हिमांशु कुमार वही आईपीएस अफसर हैं जिन्होंने हाल में ही योगी राज में यादव सरनेम वाले अफसरों को टारगेट करने और उनके ट्रांसफर करने का आरोप लगाया था. निलंबन पर हिमांशु कुमार ने पहली प्रतिक्रिया ट्विटर पर जताते हुए लिखा है की सत्य की जीत होती है.
चुनाव के दौरान ही आईपीएस हिमांशु कुमार को चुनाव आयोग ने फिरोजाबाद से भी हटाया था. हिमांशु कुमार ने 22 मार्च को एक ट्वीट के जरिए यूपी में यादव सरनेम वाले अधिकारियों को टारगेट करने का मुद्दा उठाया था. हिमांशु ने ट्वीट कर कहा था, ‘वरिष्ठ अधिकारियों में ‘यादव’ सरनेम वाले पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड करने या रिजर्व लाइन भेजने के लिए होड़ मची है’