दिया हुआ पुरस्कार वापस नहीं होगा: प्रमुख सचिव नोबल संस्थान

नार्वे के नोबल संस्थान ने उस ऑनलाइन याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें म्यांमार की नेता आंग सांग सु ची को 1991 में दिये गए नोबल पुरस्कार को वापस लेने की मांग की गयी थी। नोबल संस्थान के प्रमुख सचिव ओलव जोलस्ताद ने एक ईमेल में ‘एसोसियटेड प्रेस’ को बताया कि नोबल पुरस्कार के संस्थापक एल्फ्रेड नोबल की वसीयत के अनुसार दिया गया नोबल पुरस्कार वापस नहीं लिया जा सकता है। इसके अलावा नोबल संस्थान में भी इस प्रकार का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होने स्पष्ट शब्दों में कहा कि एक बार नोबल शांति पुरस्कार देने के बाद प्राप्तकर्ता से यह वापस नहीं लिया जा सकता है।Olav Njølstad

नोबल संस्थान के प्रमुख सचिव ने अपनी ईमेल में कहा की स्टॉकहोम और ओस्लो की किसी भी पुरस्कार समिति ने इस पुरस्कार को प्रदान किए जाने के बाद वापस लेने के बारे में कोई विचार नहीं किया है।

दरअसल म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे कथित अत्याचार के विरोध में लगभग 386000 लोगों ने Change.org के जरिये एक ऑनलाइन याचिका पर हस्ताक्षर करके सु ची को दिये गए नोबल पुरस्कार को वापस लेने की मांग की थी।

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इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ प्रतिनिधि का मानना है कि म्यांमार के रखाईन प्रांत में लगभग एक हज़ार से अधिक लोगों के हताहत होने की आशंका है। इन लोगों में अधिकतम संख्या रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय के लोग हैं। जबकि वहाँ के सरकारी आंकड़े इस संख्या को दुगना बताते हुए हताहतों की संख्या को कम ही बता रहे हैं। उधर म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र के मानवअधिकारों के प्रतिनिधि यांघी ली भी मानते हैं कि झगड़ों में मरने वालों की संख्या हो सकता है कि एक हज़ार हो, लेकिन यह निश्चित है कि इन लोगों में रोहिंग्या समुदाय के लोग अधिक हैं। इस सब के चलते गत दो सप्ताह में लगभग 164000 म्यांमार से लोग बांग्लादेश के शरणार्थी शिविर में चले गए हैं। यह सभी लोग रोहिंग्या हैं। जबकि वहाँ के शरणार्थी शिविर पहले से भरे हुए हैं।

दूसरी ओर नोबल पुरस्कार विजेता आंग सांग सु ने भारतीय पत्रकारों को संबोधित करते हुए रोहिंग्या मामले की तुलना कश्मीर से करते हुए कहा कि आतंकवादियों और निर्दोष लोगों में अंतर किया जाना चाहिए। वो कहतीं हैं कि निर्दोष लोगों को दहशतगर्दों से बचाने के ज़रूरत है और भारत इस काम में महारत हासिल है। उन्होनें कहा कि इस समय हम भी कश्मीर जैसी समस्या से ही गुजर रहे हैं।

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