अपने हक की लड़ाई लड़ते हुए किसानो ने एक बार फिर से जंतर-मंतर पर जमकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. इस हक की लड़ाई मे देश भर से आये किसानों ने जंतर-मंतर पर आयोजित किसान संसद में ज़ोरदार हुंकार भरी.
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किसानो ने अलग-अलग तरीको द्रारा अपना दुख-दर्द सरकार को सुनाने की कोशिश की है. महाराष्ट्र के किसानो ने अपने बच्चो की आत्महत्या पर सांस्कृतिक कार्यक्रम द्रारा अपना दुख जाहिर किया. आपको बता दें कि कई पार्टियो ने किसानो के इस आंदोलन का समर्थन किया है. सीताराम येचुरी, अरविंद सावंत, बीआर पाटिल, धर्मवीर गाँधी जैसे नेताओं ने किसानो को उनका हक और अधिकार दिलाने के लिए उनका समर्थन करते हुए किसान मुक्ति संसद में शामिल हुए.
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वीएम सिंह ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ये सरकार किसानों का हक़ नहीं देने वाली है. हमें अपना हक छीन कर लेना होगा. वहीं स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानी का दो तिहाई काम करने वाली महिलाओं ने इस किसान मुक्ति संसद को ऐतिहासिक बना दिया है. वहीं प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार बड़े पूंजीपतियों और कम्पनियों को लाभ पहुंचाने के लिए किसानों को कुचलने पर उतारू है.
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पिछले माह मध्यप्रदेश के मंदसौर मे किसानो पर हुई गोलीबारी मे कई किसानो की मौत हुई थी. उसके एक महीने बाद अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किसानो संग 6 जुलाई से 18 जुलाई तक देश के 6 राज्यों से होते हुए किसान मुक्ति यात्रा निकाली.
आपको बता दें कि यात्रा 6 जुलाई को मन्दसौर से शुरू होकर महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश होते हुए कल दिल्ली पहुंची है.