जिस प्रकार से टेक्नोलॉजी दिन प्रति दिन बदल रही है उसी प्रकार सभी के साथ साथ नेटवर्क भी बदल रहा है. एक समय था कि जब लोग 2G से काम चलाते थे मगर टेक्नोलॉजी के साथ साथ 3G नेटवर्क में आया और हालहि भारत में LTE (Long Term Evolution) और VoLTE (Voice Over LTE) का प्रचलन हो रहा है. तो आइये दोस्तों जानते इस सभी के बारे में कि इस नेटवर्को में क्या अंतर है और किस प्रकार ये सभी काम करते है.
2G/3G
सभी 2G और 3G से सभी परिचित होंगे ही. फिर भी जानकारी के लिए हम आप को बता दे कि 2G केवल वॉइस कालिंग के लिए उपयोग में आता था फिर पैकेट स्विचिंग ने 2G को बदल कर डाटा का स्थानांतरण सफल कर दिया जिसे GPRS(General Packet Radio Service) कहा गया. कभी कभी हमे इंटरनेट उपयोग के दौरान G का सिग्नल दिखाई देता था जोकि इंटरनेट की धीमी गति को बताता था. फिर EDGE(Enhanced Data for GSM Evolution) ने GPRS को धीरे धीरे मार्किट से रिप्लेस कर दिया. आमतौर पर EDGE 1Mbps की स्पीड देता था. यह 2G और 3G के समय में उपयोग में आता था.
2G और 3G नेटवर्क हाइब्रिड ऑफ सर्किट स्विचिंग और पैकेट स्विचिंग नेटवर्क टेक्नोलॉजी हैं. लेकिन 4G LTE केवल पैकेट स्विचिंग टेक्नोलॉजी पर कार्य करता है.
आइये जानते है कि “सर्किट स्विचड नेटवर्क” और “पैकेट स्विचड नेटवर्क” के बीच अंतर क्या है.
सर्किट-स्विचड नेटवर्क में डाटा को एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए दोनों डिवाइस के बीच एक अटूट वायर नेटवर्क स्थापित किया जाता है. जोकि प्रत्येक कॉल के दौरान बनता है और तब तक रहता है जब तक कॉल समाप्त न हो जाये.
पैकेट स्विचिंग नेटवर्क एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो डाटा को छोटे छोटे पैकेट में तोड़कर रिसीवर के पास भेजती है. इंटरनेट पैकेट स्विचड टेक्नोलॉजी पर आधारित है जो डाटा के स्थानांतरण के लिए TCP/IP प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करती है.
पैकेट स्विचड नेटवर्क सर्किट स्विचड की तरह नहीं है इसमें कॉल करने के लिए एक विशेष बैंडविड्थ जरूरी होती है.
जैसा हमने बताया कि यहां डाटा अलग अलग पैकेट में विभाजित हो कर ट्रांसफर होता है. उदा. आप 4G LTE मोबाइल का उपयोग बात करने के लिए कर रहे है और “hello India” कहते है तो सामान्यतः ये दो पैकेट Hello और India में विभाजित हो जायेगा. पहला पैकेट hello और दूसरा India है. अगर दूसरे पैकेट के ट्रांसमिशन में कोई देरी होती है तो कॉलर को केवल “Hello” प्राप्त होगा.जबकि दूसरा पैकेट “India” कुछ समय बाद प्राप्त होगा.
यही कारण है कि “पैकेट स्विचड नेटवर्क” “सर्किट स्विचड नेटवर्क” से कम विश्वसनीय है.
LTE
मूल रूप से LTE डेटा ले जाने के लिए पूरी तरह से आईपी सेल्युलर सिस्टम है. मतलब अगर आपको कॉल भी करनी हो तो मोबाइल में इंटरनेट होना जरूरी है.
VoLTE
VoLTE में यह जरूरी नहीं कि कालिंग के लिए इंटरनेट जरूरी हो. VoLTE सेट में बिना इंटरनेट भी कॉल कर सकते है. VoLTE में हम 3G या 2G का उपयोग न करके हम LTE का उपयोग करते है. VoLTE का उपयोग करके हम 2G/3G कनेक्शनों से अधिक तेजी से कॉल कर सकते हैं.
VoLTE का उपयोग करने वाले उपयोगकर्ता को क्या क्या लाभ हैं.
4G LTE पर एचडी वॉयस कॉल्स कर सकते है. बेहतर बैटरी लाइफ और VoIP इसकी कार्यशैली को बढ़ता है साथ ही आप अच्छी क्वालिटी की वीडियो कॉल भी कर सकते हैं.
विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न कुमुद सिंह ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी कोई स्टोरी है. तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com