फिर भी

गुण समझने का भी गुण होना चाहिए

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि ये ज़रूरी नहीं की जो चीज़ महंगी है केवल वो ही अच्छी होगी क्योंकि हमे कीमत से ज़्यादा चीज़ के गुणों पर ध्यान देना चाहिये उदाहरण के तौर पर कवियत्री ने मिट्टी के घड़े का उदाहरण लिया है वह सोचती है कि ये बात तो सबको पता ही है की मिट्टी के घड़े का जल हमारे लिए कितना लाभ दायक होता है लेकिन फिर भी प्लास्टिक की बिक्री ज़्यादा होती है सब पुरानी और अच्छी चीज़ो को जैसे भूलते ही जा रहे है दिखावा इतना बड़ गया है की इंसान सही और गलत में फर्क नहीं कर पाता।

कवियत्री सोचती है इस ब्रम्हांड का सबसे कीमती खजाना कही और नहीं हमारे अंदर ही छुपा है उस की तरफ तो ध्यान किसी का जाता ही नहीं जो सबसे अध्बुध और अनमोल है। याद रखना दोस्तों रूपया, पैसा, घर ,रिश्ते, नाते सब यही रह जाते है हमारे साथ बस ईश्वर का अंश आया था और वो ही हमारे साथ जायेगा वक़्त रहते उन्हें समझो और सही दिशा में अपना जीवन बिताओ।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

हर महेंगी चीज़ ही अच्छी हो ये तो कोई बात नहीं।
सौंधी सी खुशबू वाले घड़े की,
अब प्लास्टिक के आगे औकात नहीं।
किसीकी कीमत से नहीं,
उसके गुणों से उसे पहचानो।

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इन आँखो पर से, दिखावे का पर्दा हटाकर, सच को पहचानो।
जब हर चमकती चीज़ सोना नहीं होता।
तो क्यों इस चकाचौंध की दुनियाँ में,
तू अपनी सही समझ को खोता।
होकर आकर्षित गलत दिशा में,
हर मानव ही फिर बाद में है रोता।
वक़्त रहते इस गलत सोच पर तुम लगाम लगालो।

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अपने अंतर मन में झाँक,
जीते ज़िन्दगी अपने ईश्वर को जगालो।
एक ज़िन्दगी भी कम है उन्हें समझ पाने में,
अभी वक़्त है उनका प्रत्यक्ष्य रूप,
हम सब के सामने आने में।
जब तक मन पर अहम का पर्दा,
वो देते न दिखाई।
जिसने करा इस मन को काबू,
बस उनको ही ईश्वर की सही छवी दिख पाई।

धन्यवाद।

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