प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को किसी से भी ज़बरदस्ती काम न करवाने की सलाह दे रही है। वह कहती है कि हर इंसान की अपनी अलग रूचि होती है, ऐसा ज़रूरी नहीं जो हमे पसंद आता है वह किसी दूसरे को भी पसंद आये उदाहरण के तौर पर ऐसा ज़रूरी नहीं कि डॉक्टर का बेटा या बेटी डॉक्टर ही बनना चाहे हर इंसान में अपनी अलग अनोखे गुण होते है जो उसे दूसरे से अलग बनाते है। यह एक मूर्खता है अगर आप ज़बरदस्ती किसी पर अपनी रूचि डालें, आप बेशक दूसरों या अपनों को रोके अगर आपको लगता है कि सामने वाला गलत दिशा में बढ़ रहा है जिससे उसका अथवा दूसरों का नुक्सान हो सकता है। क्योंकि गलत बात पर आवाज़ उठाना सही होता है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
किसी से अपनी बात ज़बरदस्ती न मनवाना,
यही रह जाना है, हमारे जीवन का कमाया हुआ सारा खजाना।
तुम्हारी यादों की छवि बस यही रह जायेगी।
तुम्हारे बीते कल की कहानी, यादें बन कर सबके दिल में घर कर जायेगी।
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किसी पर अपनी रूचि का प्रभाव न डालना ज़बरदस्ती,
अपने आप में ही काबिल होती है हर एक हस्ती।
यू ज़बर दस्ती मनवाके किसी से अपनी बात।
तुम करना न कभी भी ऐसी मस्ती।
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किसी को कभी उसकी रूचि से दूर न करना,
महंगा पड़ेगा, तुम्हें तुम्हारा वार ही वरना।
गलत दिशा में रोकना ये एक सही विचार है।
सही दिशा में रोकना, ये एक अत्याचार है।