फिर भी

शोर मत मचाओ

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री किसी भी चीज़ का न बखान करने की प्रेरणा दे रही है। वह कहती है कि इस दुनियाँ में कुछ भी चीज़ कभी स्थायी नहीं रहती है, वैसे ही न तो सुख और ना ही दुख स्थायी है। आज अगर दुख है या संघर्ष का समय है तो कल अराम का समय आयेगा ही आयेगा, बस याद रहे अपने दुख और संघर्षो में ईमानदारी का रास्ता भूल न जाना। अपने दुखो में कभी इतना डूब मत जाना कि मेहनत करना ही छोड़ दो।hard workअगर आपके कोई सपने है तो वो ज़रूर पूरे होंगे लेकिन उन्हें पूरा होने में वक़्त लगेगा कई कठनाइयों का सामना करना होगा लेकिन ऐसे वक़्त में हमेशा ये सोचना कि ये वक़्त भी गुज़र जायेगा क्योंकि कभी-कभी ऐसे हालातों का सामना करना पड़ता है जिसके बारे में हमने कभी सोचा भी न हो इसलिए खुदको हर परिस्थिति के लिए तैयार रखो खुद पर नियंत्रण रखो और ये रोज़ की करी सच्चाई की साधना से ही आयेगा। अगर आपके पास ज़्यादा पैसे है तो कभी घमंड न करना क्योंकि किसी को नहीं पता अगले पल क्या हो जाये। सबसे बड़ी दौलत है समाज में अपनी एक अनोखी पहचान बनाना।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

शोर न मचाओ अपने दुखो का,
ये तो बस मेहमान है, कुछ ही पलों के।
रख अपने को कर इस कदर काबू करके,
कि तेरी आँख में कभी इन दु:खो के आँसू न झलके।

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शोर मत मचाओ अपने सपनों का,
बुरे वक़्त पर साथ नहीं मिलता कभी-कभी अपनों का,
अपने को कर, इस कदर काबू,
फिर बोलना तब, जब बन के दिखाओगे तुम कुछ बाबू।

शोर मत मचाओ अपने पैसों का,
नाश करा है इसने ही कैसे कैसो का.
अपने को कर, इस कदर काबू,
मेहनत के पैसों में भी होता है सबको हिलाकर रख देने का जादू

 

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