फिर भी

नवी मुम्बई के नेरूल में ओबीसी फाउंडेशन इंडिया की सभा में देखने मिला कार्यकर्ताओ का जोश

दिलीप घोडेकर (माजी नगरसेवक व मनपा नवी मुम्बई विरोधी पक्ष नेता नवी मुम्बई) सभा में बहुत अच्छा मार्गदर्शन किया उन्होने आपने भाषण में कहा आदरणीय बाळासाहेब ठाकरे कोई प्रकार की जात पात नही मानते थे और हम उनके सैनिक है। उनके दिए हुए संस्कार, संस्कृति और उनके विचार आज भी हम याद रखते है।OBC Foundation Camp Mumbai

शिवसेना पक्ष में हम लोग सर्वधर्म समान भाव से काम करते है। संघठन का मतलब क्या होता है। उन्होने बहुत ही अच्छे से बताया, संगटन का मतलब होता है घर और घर में जिस प्रकार सब लोग काम करते है। और हमारे घर को एक ऊँचाई की तरफ लेके जाते है।

वैसे ही संगटन का मतलब हमारा घर और हमे उसे किस प्रकार ऊपर लेके जाने का है। ये कार्यकर्ता ने सोचने का और ऊस तरह काम करने का। उसे संगटन कहते है ऊस माध्यम से हमे सांस्कृतिक, शैक्षणीक, कला, क्रीडा, आरोग्य, और रोजगार का काम संगटन के माध्यम से करने का है । मै माळी समाज का हूँ और वही जाति की वजह से मै चुनाव जीता हूँ। तो जाति को छुपाना नही चाहिए । जाति को छुपाना मतलब एक गुनाह है।

आजतक महाराष्ट्र में बहुत सारे संघठन आये और गये। लेकिन ये संघठन में सभी मागास और अन्य पिछड़े वर्ग है। और पूरे ताकत से खड़े है। ओबीसी फाउंडेशन इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्षा स्वाती ताई मोरले ने बहुत परिश्रम से ये पेड़ लगाया है। और ये पेड़ को बढ़ाने की जिमेदरि हमारी है। ताई आप सावत्री की बेटी है और हम सब आपके भाई है। आप हमे आवाज दो हम आपके साथ है।ओबीसी फाउंडेशन इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्षा स्वाती ताई मोरले ने कहा मै भी किसान घर में पैदा हुई। बीड में पैदा होने कारण गन्ना कामगार किस प्रकार काम करते है। गन्ने कामगार के लड़के लड़कियाँ के लिये स्कूल नही होते। उनके लिये पानी के लिये टंकी नही होती। शौचालय नही होते। लाईट की सुविधा नही होती। मै ‘गन्ना कामगार’ विषय पर पीएचडी कर रही है। पिछड़े मागास वर्ग के लिये काम करने के लिये उन्होने आपनी 60,000 हजार रुपये के नौकरी ऊपर पानी फेर दिया है और आपने खुद के बच्चो को हॉस्टल में भेज दिया है और खुद और उनके पति रत्नाकर मोरले सर समाज के लिये दिन रात काम करते है।

ताई का बेटा रुद्र उसको भी अपने मम्मी-पापा पर गर्व है। दोनो आगर समाज की सेवा करते है। तो मुझे उनके ऊपर नाज़ है। शुरू मै फ़ेसबुक की माध्याम से वंजरी सेवा संघ का काम करती थी। लेकिन फॉलोवर ज्यादा हो गये और लोगों ने कहा हमे सब समाज के लिये काम करना है। तभी से ‘ओबीसी फाउंडेशन इंडिया’ का जन्म हुआ। और मुझे बताने में नाज़ है कि आज हमारे संगटन के 2,00,000 सदस्य हो गये।

हमारे विद्यार्थियों के लिये हर जिले में हॉस्टल की सुविधा होनी चाहिए. उसके लिये हमारा काम चालू है।
अभी बादल आया है बारिश चालू होगा। ओबीसी का बारिश होगा। हर जिला ओबीसी होगा ‘एक पर्व ओबीसी सर्व’ मी ओबीसी आम्ही ओबीसी ‘ सब चीज़ में पैसा काम नही करता। आदमी मन से बड़ा होना चाहिए। ताई ने डॉ बाळासाहेब लाड के ऊपर राष्ट्रीय कार्य अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दिये है। उनके पीछे बहुत बड़ा संघठन है। ओ अच्छा काम कर सकते है ऐसा विश्वास ताई ने जताया।

बाबा गुज़र ने बीड जिल्हे के दस पंधरा गाव के गुज़र समाज को ओबीसी में विलीन किया। मारुती वनवे (महानंदा डेअरी अधीक्षक) ने कहा हम सब लोगों को मिल के काम करना है। समाज के सुख दु:ख में हमे शामिल होना है और जिसे जरूरूत लगेगी उसके पीछे खड़ा रहना है।

सुदर्शन सानप (राष्ट्रीय बांध् काम आघाडी) सर ने कहा संगटन कॊ मजबूत करना है तो उसे आर्थिक चीज़ से हमे मजबुत होना पड़ेगा और ऊस पैसे को हम लोग समाज के लिये वापर करगे। नवनाथ सांगले ने सूत्र संचालन का काम बेहतरी अंदाज से पेश किया और समाज के बचोके अँडमिशन के जबाबदारी का काम उठाया।

मार्गदर्शन शिबिर में नवनिर्मित सदस्य को नियुक्ति पत्र का वितरण किया गया उस वक्त मंच पर उपस्थित ओबीसी फाउंडेशन इंडिया के प्रवक्ता रत्नाकर मोराले, ओबीसी फाउंडेशन की महिला प्रदेश अध्यक्षा शैला वायभासे, माजी नगरसेवक व विरोधी पक्ष नेता नवी मुम्बई दिलीप घोडेकर, महानंदा डेअरी अधिक्षक मारुती वनवे, जिल्हा भाजपा अध्यक्ष आदिनाथ सारूख, समाजसेवक पंढरीनाथ आंधळे, माणिक राव आव्हाड,नवनाथ सांगले, मार्केट कमिटी अर्जुन आव्हाड, भगवान बटुले, वाहतूक संगटन जिल्हा अध्यक्ष वसंत घुगे, युवा नेते किरण सानप, बांध् काम आघाडी सुदर्शन सानप, वाहतुक आघाडी गणेश लाड, डॉ गोरख राख, डॉ छाया राख, उप निरिक्षक रेल्वे पोलीस बेल्हापुर पांडुरंग मिसाळ, संत वामनभाऊ भगवान बाबा प्रातिस्थान अखंडहरीनाम सप्ताह नेरूल मुम्बई गर्जे दादा आजीनाथ नामदेव गर्जे, वैजिनाथ वनवे, भाऊसाहेब वनवे, अनिल खाडे, गणेश वनवे, वारे सर अमोल राजे आंधळे, हरिभाऊ वनवे, संजय वारे सर, संतोष पालवे, सुनील खाडे, तुकाराम वनवे, एकनाथ चौधर आदि उपस्थित रहे.

[स्रोत- बालू राऊत]

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