फिर भी

फूलो में खुशबू के संग काटे भी होते है

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि जहाँ अच्छाई होती है वहाँ उतनी ही बुराई भी होती है। वक़्त बहुत बलशाली है कभी वो अच्छे को बुरा और बुरे को अच्छा बना देता है लेकिन आजीवन अच्छाई का साथ देना सबके बस की बात नहीं अच्छे मार्ग पर चल जब इंसान में घमंड आजाता है उसी क्षण वही इंसान अच्छे से बुरा बन जाता है।

लेकिन अच्छाई भी उतनी हीं करो जिसमे आपका नुकसान न हो। हर इंसान जिस दिन केवल ये सोच लेगा कि उसे केवल खुदको ठीक रखना उस दिन से ही सारे झगड़े बंद होजायेंगे इसलिए वक़्त रहते बस खुदको संभालो तुम्हे देख क्या पता लाखो की ज़िन्दगी बदल जाये। कोई इंसान अपने आप में पूरा नहीं होता सबको ही एक दूसरे की ज़रूरत होती है और अच्छा और बुरा दोनों ही हम सबके अंदर है।

अब आप इस कविता का आनंद ले

फूलो में खुशबू के संग काटे भी होते है।
इस दुनियाँ में पनपे जहाँ अच्छे लोग,
वहाँ बुरे भी होते है।
अपने को ही केवल महान समझने वाले लोग,
जीवन के अंत में रोते है।
क्योंकि कोई अपने आप में पूर्ण नहीं,
सबको ही एक दूसरे की ज़रूरत होती है।
अपनी ही गलत बात को वक़्त पर न समझ,
अच्छाई भी अपनी अच्छाई को खोती है।
वक़्त पर वक़्त की कीमत न समझ,
फिर बाद में बीते कल को याद कर तू क्यों रोती है?
सबकी किस्मत की चाबी सबके हाथ में ही तो होती है।
जीवन का ये लम्बा समय सच कहु तो एक ज्योति है।
जिसमे वक़्त-वक़्त पर अच्छाई का घी डालना पड़ता है।
अपनी उस ज्योति को संभाल,
इंसान पग-पग आगे बढ़ता है।
अपने दुखो से, हर इंसान ही तो, यहाँ अकेला लड़ता है।
बस कुछ ही लोगो का दिया अंत तक,
तेज़ रौशनी के साथ जलता है।
अपने को जो वक़्त पर न संभाले,
जीवन के सफर में हार कर,
बस वो ही हाथ मलता है।

धन्यवाद।

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