फिर भी

सोचेगा तो पायेगा भी

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि कुछ बड़ा पाने का जब तक सोचोगे नहीं तब तक उसे पाओगे कैसे?? और जब कुछ बड़ा करने का सोच ही लिया है तो जीवन में मुश्किलों का सामना भी करना होगा कभी अपने लक्ष्य की राह में सफलता मिलेगी तो कभी हार का सामना भी करना होगा, दोस्तों बस इतना याद रखना जब हार मिले तो समझना परीक्षा की घड़ी है उस वक़्त को बस अपने हौसले के साथ निकाल लेना फिर ये पूरी कायनात भी तुम्हे जीताने में लग जायेगी।

कवियत्री सोचती है हर इंसान अपने में अलग है और अनोखा है हर एक में भरपूर शक्ति है लेकिन न जाने क्यों लोग अपने पे भरोसा न कर दूसरे पर ज़्यादा भरोसा करते है। ईश्वर ने सबको एक सा नहीं बनाया है इसलिए तुम्हे जो भी मिला उसे और सवारने की कोशिश करो दूसरे की सफलता देख उससे जलो मत बल्कि अपनी क्षमताओं को और निखारने की कोशिश करो दोस्तों ये जीवन बहुत ही छोटा है बस हर दिन खुदसे ये सवाल करना मत भूलना क्या बस आज मैं खुल के जिया क्या बस आज मैंने अपनी ज़िम्मेदारियाँ पूरी तरह से निभाई??

अब आप इस कविता का आनंद ले।

सोचेगा तो पायेगा भी,
सफलता की राह में, कभी कभी मात खायेगा भी।
मात खाके इच्छा और भी प्रबल हो जायेगी,
इस शब्दों के गहराई की असलियत फिर तुझे और गहराई से समझ में आयेगी।
किसी की सुन, ज़िन्दगी की इस दौड़ में तू न रह जाना पीछे।
गलत दिशा की राह में, न जाने कितने तुझे पीछे है खींचे।
दिशा जब सही है तो मंज़िल भी मिल जायेगी।
तुझे यू खुश देख, फिर तेरे अपनों को भी तेरी हर एक बात समझ में आयेगी।
जब सबको पछाड़, तू अच्छाई के रास्ते पर, खुदके दम पर चलती जायेगी।
तुझे देख,न जाने कितने लोगो की दुनियाँ बदल जायेगी।
जीवन के अंतिम क्षण तक भी,फिर तू अपने आज के फैसले पर नहीं पछ्तायेगी।
सबको जाना है अपनी शरण में,
ये एक छोटी सी बात किसीको आसानी से समझ में आती नहीं।
जो भरोसा करा होता सबने अपनी-अपनी क्षमताओं पर,
दुख की परिस्थिति भी फिर किसी को सताती नहीं।

धन्यवाद।

Exit mobile version