फिर भी

क्या कोई मुझे याद करेगा (गृहणी)?

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां की हर गृहणी को नमन कर रही है जिनका पूरा जीवन अपने पती और बच्चो की ख़ुशी में बीता और उनका इतना बड़ा बलिदान कोई समझ नहीं पाया। आज अपनी इस कविता के द्वारा वो उन सब गृहणियों का दर्द बताने की कोशिश कर रही है।

दोस्तों एक औरत के जीवन में कई उतार चढ़ाव आते है उनका आधा जीवन अपने माता पिता के साथ बीतता है फिर शादी के बाद एक ही दिन में पूरा जीवन बदल जाता है, फिर माँ बनने की पीड़ा भी वो ख़ुशी ख़ुशी झेलती है। इतिहास गवाह है जितने भी वीर, वीर बने उनके पीछे बहुत बड़ा हाथ उनकी पत्नियों का होता है लेकिन इतिहास के बहुत ही कम पन्ने औरतो की वीरता के बारे में बोलते है।

उदाहरण के तौर पर हम गौतम बुद्धा को ले सकते है उनके बुद्धा बनने में माँ यशोधरा का बहुत बड़ा बलिदान था माँ सीता सब कुछ छोड़ कर अपने पति के साथ ख़ुशी-ख़ुशी वनवास गई थी उन्होंने अग्नि परीक्षा दी उनका आजीवन दुखो से भरा था फिर भी इस दुनियाँ ने जीते जी उनके दुख नहीं समझे और उन्हें अपने पति से अलग कर दिया ये तो कुछ मशहूर कहानियाँ है लेकिन अगर हम छोटेसे छोटे घर की कहानियाँ भी देखे तो आज भी इस युग में बहुत ही कम लोग गृहणी का सम्मान करते है और जो परिवार औरतो का सम्मान करता है मैं उन खुश किस्मत औरतो में से एक हूँ।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

क्या कोई मुझे याद करेगा??
क्या कोई मुझे पुनः,
अपने जीवन में पाने की फरियाद करेगा?
या रह जाउंगी मैं भी एक याद बनके.
किसी की चूड़ी तो किसीका कंगना,
यहाँ हर रोज़ है खनके.
औरत की मुस्कुराहट ही इस जग में सबसे भली है.
ज़रा पूछो तो उसके दिलसे,
उसे अपनों की कमी यहाँ कितनी खली है.
कभी बेटी कभी बहू तो कभी माँ बनने की,
पीड़ा सह कर भी हर हाल में मुस्कुराना पड़ता है.
उसके सहयोग से ही तो हर वीर यहाँ,
अपने लक्ष्य को पाने बढ़ता है.
फिर उसकी मेहनत क्यों किसी को दिख नहीं पाती.
जीवन के हर पड़ाव में नारी क्यों,
इस जग के बस ताने ही खाती.
कभी ये जग उसे सताता,
तो कभी वो खुदसे ही रूठ जाती है.
फिर अपने मन का हाल,
वो जिस किसी को भी बताती है.
उसकी बातो की गहराई,
इस जग को समझ कर भी समझ नहीं आती है.
हर दर्द के साथ एक गृहणी,
यूही अपना जीवन मुस्कुराते हुए बिताती है.

धन्यवाद

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