अक्सर कई तरह के आदमी यही सोचते है की हस्त मैथुन करने से शरीर में कमजोरी आने लगती है. लेकिन उनका यह सोचना बिलकुल गलत है. मैथुन करने से कमजोरी नहीं आती है. इस बात का कोई भी आधार आज देखने को नहीं मिला है. जबकि प्रकृति के बनाए इस शारीरिक सुख व दैहिक मैथुन क्रिया को दिमाग को अपने दिमाग में न रखकर एक साधारण तरीके से कि जाए तो इसका हमारे शरीर पर कोई असर नहीं पड़ता है. जिस प्रकार शरीर की बाकी क्रियाओं को से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है. अगर इस बात को ध्यान से सोचा जाएँ तो इस प्रकार से इंसान की शादी ही ना हो क्योंकि शादी होने बाद हर कोई इस चीज़ का आनंद लेता है. ऐसे में तो महिला और पुरुष हमेशा बीमार ही रहेंगे. इसलिए इस चीज़ों पर ज्यादा ध्यान देने हम मानसिक रूप से कमजोर जरुर पड़ने लग जाते है.
एक शोध में यह भी सामने आया है की अगर प्रकृतिक मैथुन करने से शरीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन्स का विस्तांर होता है. टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन्स शारीरक, मानसिक विकास के लिए बहुत जरुरी होता है. वैसे हमारे शरीर में सबसे ज्यादा काम करने वाला सेक्स ऑर्गन क्या है तो दिमाग सबसे पहले आता है. जी हाँ सुनने में थोडा अजीब लग रहा होगा लेकिन यही सच है. मैथुन करने से हमारे शरीर की मांसपेशियो और हड्डियो का विकास होता है. देखा जाएँ तो यह भी सच बात की अक्सर शादी होने बाद महिला या पुरुष दोनों में कई तरह से परिवर्तन देखने को मिलते है.
अगर बॉडी बिल्डिंग की बात करें तो यह हमारे शरीर की शक्ति से ऊपर निर्भर करता है कि हम किस हद तक बॉडी बिल्डिंग कर सकतें और खेल खुद सकतें है. लेकिन शारीरक क्षमता व प्रदर्शन मांसपेशियों के साथ-साथ मानसिक तालमेल का परिणाम होते है. कई बार ज्यादा बार दिन में मैथुन जैसी क्रियाओ के करने से हम शरीर से नहीं मगर दिमाग से कमजोर महसूस करने लगते है. यही कारण की फिर हम अपने शरीर के मुताबिक मेहनत नहीं कर पाते है. जबकि सच तो यह है की इसका असर हमारे शरीर पर कम मानसिक रूप में देखने को ज्यादा मिलता है.
कई रिसर्च में यह भी सामने आया है की सेक्स व्ययाम और शारीरक प्रदर्शन से पहले कोई उल्टा असर नहीं डालता और प्रदर्शन से पहले किये गए मैथुन का असर ज्यादा ठीक रहता है. लेकिन बता दें कि जरुरत से ज्यादा मैथुन करने से आपको इसकी लत भी लग सकती है. जिसके कारण आपका मन शांत नहीं करेगा और आपको शरीर से कमजोर होने पर भी मजबूर कर देगा. इसके इन सभी बातों का ध्यान रखे की जरुरत से ज्यादा कोई भी हमे नुकसान ही पहुँचाती है.