प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि हर इंसान अनोखा है, अलग है। वह सोचती है लोगो के दु:ख का कारण ही ये है कि वह दूसरे को किसी भी क्षेत्र में अच्छा करते देख जलने लगते है और उसी क्षेत्र में सफलता पाना चाहते है लेकिन वह अक्सर भूल जाते है की अगर एक इंसान किसी क्षेत्र में अच्छा है तो ये ज़रूरी नहीं की दूसरा भी उसमे अच्छा होगा या दूसरे को भी उसमे सफलता मिलेगी।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
कोई तुम्हारे जैसा नहीं होता,
क्योंकि तुम किसी के जैसे नहीं होते।
खुदको समय पर न संभाल,
सबका प्यार खोकर तुम खुदके लिए ही रोते।
हमारे हर दुख की वजह,
केवल हम ही होते है।
तो क्यों किसी और को अपने दुखो का कारण बताकर,
हम अपनी सुद्ध-बुद्ध खोते है।
जीवन की लड़ाई तुम केवल स्वयं से करो.
दिखावे की आड़ में तुम,
अपने संग दूसरों का भी बुरा मत करो।
किसी दूसरे को कुछ न समझ तुम बस अपनी ही मत करो।
खुदको वक़्त दो, वक़्त की कीमत समझने का।
ज़रूरत नहीं तुम्हे, किसीकी भी बातो में उलझने का।
अपने अंदर छुपे ईश्वर का सच तुम अपने दम पर जानो।
बिना खुद अनुभव करे, तुम किसी की बात यूही मत मानो।
विश्वास रखो अपनी क्षमताओं पर,
उन क्षमताओं पर तू कभी संदेह मत कर।
अपने को कुछ न समझ के,
तू ईश्वर की रचना का अपमान न कर।
धन्यवाद