उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में शनिवार को एक बड़ा रेल हादसा हुआ है। मुजफ्फरनगर में पुरी- हरिद्वार कलिंग उत्कल एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए, जिसमें 23 से ज्यादा लोगों की जान चली गई तथा 80 से ज्यादा जख्मी हो गए। पिछले साल दिसंबर से लेकर इस घटना तक देश में कई बड़े रेल हादसे हुए हैं। सोचने वाली बात यह है कि भारत में रेल हादसों में लगातार बढ़ोतरी क्यों हो रही है।
पब्लिक इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट
2017 में पब्लिक इंडिया स्पेंड ने रेल हादसों की वजह पर एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें नवंबर 2016 से मार्च 2017 तक पटरी से ट्रेन के पलटने की प्रत्येक घटना के पीछे रेलवे ट्रैक का अत्यधिक इस्तेमाल करना बताया था। इंडिया स्पेंड के जारी आंकड़ों से पता चला है कि ट्रेन में अवरोध और ट्रेन के पटरी से उतरने के पीछे दो कारण हो सकते हैं।
1-: अतिरिक्त यातायात
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2-: रेल बुनियादी ढांचे में निवेश कम होना
15 सालों में कितनी बड़ी है ट्रेनों की संख्या
15 सालों के दौरान पैसेंजर ट्रेन की दैनिक संख्या में 56 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह संख्या साल 2000-01 के दौरान 8,520 थी जो साल 2015-16 में बढ़कर 13,313 हो गई है।
कितना हुआ है निवेश
रेल ढांचे में निवेश के 2016 के आंकड़ों पर दृष्टि डालें तो 1950 से 2016 के बीच रेलवे मार्ग की लंबाई में मात्र 23 फ़ीसदी (किलोमीटर) का विस्तार हुआ है जबकि यात्रियों की संख्या में 1344 फीसदी और माल ढुलाई में 1642 फीस दी की वृद्धि हुई है।
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फिजिएका ए जनरल पेपर 2012 के अनुसार भारत में उच्च यातायात वाले ज्यादातर रेल मार्ग गंगा के मैदानी इलाकों में हैं। 2010 में 10 प्रमुख रेल दुर्घटनाओं में से 8 घटनाएं किन्ही मैदानों की थी। खासतौर से गंगा के मैदानी इलाकों में रेल यातायात इतना अधिक है कि अगर सभी ट्रेने समय पर निकाली गई तो भारतीय रेलवे का वर्तमान बुनियादी ढांचा रेलों की ट्रैफिक को संभालने में सक्षम नहीं हो पाएगा।
दिल्ली टूंडला कानपुर रेल मार्ग भारत के सबसे जोखिम वाली एक्सप्रेस ट्रेन ट्रैक के तौर पर दर्ज किया गया है।
प्रत्येक वर्ष पेश किए जाने वाले रेल बजट में ट्रेनों की संख्या तो बढ़ा दी जाती है परंतु ट्रैकों के विस्तार पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है।