यूपी ने स्वीकारी नोटबंदी तो गुजरात ने लगाई GST पर मुहर

8 नवंबर 2016 यह दिन भारत के इतिहास में एक ऐसा ऐतिहासिक दिन है जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने इतना बड़ा फैसला लिया होगा. भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जो अपने बड़े फैसलों के लिए और अपनी लोकप्रियता के लिए जाने जाते हैं. अपने आपको प्रधान सेवक कहकर संबोधित कराने वाले नरेंद्र मोदी जनता के दिलों में कुछ इस प्रकार छा गए हैं कि उनके प्रत्येक फैसले को जनता तहे दिल से स्वीकार कर रही है और उसका नजारा उत्तर प्रदेश और गुजरात ने दिखा दिया है.kya hai gst jane narendra modi seहालांकि नोटबंदी जैसे फैसले के बाद लोगों को कुछ समस्याएं झेलनी पड़ी मगर अगर भारत ने जो सबसे ज्यादा झेला हैं तो वह है विपक्षियों की कटाक्ष बयानबाजी. ऐसा नहीं है कि बस नोटबंदी से समस्याएं ही हुई हैं बल्कि कुछ समस्याओं का समाधान भी हुआ है. जैसे अधिकांश चुप रहने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी जैसे फैसलों पर चीख-चीखकर बोलते नजर आएं. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मोदी सरकार पर अपने बेधड़क हमले में सबसे आगे थे और उन्होंने नोटबंदी को ‘बिना सोच-समझ का फैसला’ करार दिया. तो कहीं ना कहीं विपक्ष को भी नोटबंदी का फायदा मिला है.

8 नवंबर 2016 के बाद विपक्ष पार्टियों की नजर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पर गई और बढ़-चढ़कर मीडिया या फिर जनता के सामने नोटबंदी पर हुई थोड़ी सी परेशानियों का बढ़ा चढ़ाकर रोना रोया, मगर जनता बेवकूफ नहीं है.

उत्तर प्रदेश भारत के गरीब राज्यों में से एक राज्य है और अपने कुछ अड़ियल दिमाग के कारण उत्तर प्रदेश वालों को कुछ अलग कैटेगरी में भी रखा जाता है मगर उस अड़ियल जनता में भी इतनी समझ है कि क्या देशहित में जरूरी है और क्या नहीं? उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की उस समझदार जनता ने अपने समझदार प्रधान सेवक के फैसले का खुले दिल से स्वागत किया और बता दिया कि यह नोटबंदी मेरे देश हित में बहुत जरूरी है. बता दिया कि यह कहीं ना कहीं काले धन को रोकने में काम आ रही है और कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार भी इस नोटबंदी के सहारे कम होगा.

विपक्ष के पास कुछ नहीं बचा अब मुद्दा बनाए तो किस चीज को बनाए उसी बीच मोदी सरकार का एक और फैसला आया और यह फैसला काफी अहम था और यह फैसला भी नोटबंदी जितना बड़ा था. 1 जुलाई 2017 को भारत में जीएसटी लागू किया गया. यहां पर भी कांग्रेस पार्टी और भारतीय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बिना थके बड़े-बड़े तर्क देते रहे और कहते रहे कि नोटबंदी के तुरंत बाद जीएसटी को अमल करना मोदी सरकार की दोहरी गलती है और भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ी गिरावट आएगी.

मगर भारत का एक और समझदार राज्य गुजरात जिसने विपक्ष को बता दिया कि जीएसटी भी देशहित में जरूरी है. जरूरी है कि यह हम समझे कि भाजपा या फिर नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी या जीएसटी अपने हित के लिए लागू नहीं किए हैं. जरूरी है जिसके हाथों हमने देश की बागडोर दी है उसके कुछ फैसलों को स्वीकार करें. जरूरी है अफवाह को छोड़कर हो रहे विकास की ओर ध्यान दें. और जरूरी है कि समझें स्वतंत्र भारत के इस कार्यकाल में अब तक ऐसे बड़े फैसले कब-कब हुए हैं और क्या उनके असर हुए हैं.

उत्तर प्रदेश के बाद गुजरात ने भी विपक्ष की दलीलों को ठुकरा दिया और प्रधान सेवक की रणनीतियों और न्यू इंडिया के मिशन को स्वीकारा और तहे दिल से गुजरात में भी बीजेपी का या फिर नरेंद्र मोदी का स्वागत किया.

विपक्ष पार्टियों को दिल छोटा करने की जरूरत नहीं है. हो सकता है कोई और भी बड़ा फैसला जल्द ही उनके चीखने चिल्लाने का मुद्दा बन जाए. हो सकता है जल्द ही प्रधान सेवक उस अभिशाप को भी खत्म कर दें जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी है, जिसे हम बेनामी संपत्ति के नाम से जानते हैं. और उम्मीद है जल्द ही पूरे जोर-शोर से बेनामी संपत्ति पर मोदी सरकार कार्यवाही करेगी. हो सकता है जल्द ही अचल संपत्ति को भी आधार नंबर से जोड़ने की मुहिम लागू हो जाए और उस पर भी जनता का समर्थन मिले.

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