दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र में जब चुनाव होते हैं तो अगले दिन सब समाचार पत्रों की पहली खबर लगभग एक जैसी होती है। इस खबर में चित्र सहित राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री जैसे बड़े पद वाले लोग, सबसे बड़ी उम्र के मतदाता, सबसे कम उम्र के पहली बार वोट देने वाले लोग और यहाँ तक की दिव्याङ्ग भी मत देने के लिए चुनाव केंद्र के सामने लाइन में खड़े दिखाई देते हैं।
क्या खास बात है इस मतदाता में:
इस मतदाता का पूरा नाम भरतदास दर्शनदास है। चुनावी मतपत्र में ये सबसे महत्वपूर्ण और मूल्यवान मतदाता हैं। दरअसल महंत जी गुजरात के गिर जंगल में बहुत प्राचीन मंदिर की देख-रेख करने के लिए उसी मंदिर में रहते आए हैं। इनकी इस मंदिर की प्रति आस्था इसी बात से आँकी जा सकती है कि किसी भी प्रकार की मूलभूत सुविधा के न होने पर भी महंत भरतदास इस दुर्दांत जंगल के मंदिर में रहते हैं। इस मंदिर में उनके अलावा और कोई जाने की हिम्मत भी नहीं करता है।
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जंगल के भीतरी भाग में मंदिर के होने के कारण, इस मंदिर में न तो बिजली है और न हो फोन की सुविधा है। लेकिन जब भी गुजरात में कोई चुनाव होता है तो चुनावी नियमों के अनुसार, मतदान में लगे अधिकारी बाबा भरतदास की सुध लेने पहुँच जाते हैं। चुनाव आयोग का एक नियम है की हर 2 किलोमीटर के क्षेत्र में एक चुनाव केंद्र होना चाहिए जिससे कोई भी मतदाता अपने अधिकार का प्रयोग करने से छूट न जाए। इसी नियम के अनुसार इस घने जंगल के 35 किलोमीटर के इलाके में चुनाव आयोग को पोलिंग बूथ बनाना पड़ता है। इस पोलिंग बूथ पर पोलिंग पार्टी से लेकर सिक्यूरिटी तक की वो सारी व्यवस्था करी जाती है जो किसी अन्य सामान्य पोलिंग स्टेशन पर की जानी चाहिए।
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यह अलग बात है की इस पोलिंग बूथ का मतदाता एक ही है और इसका मतदान हमेशा 100% होता है, क्यूंकी बाबा भरतदास कभी भी अपने मताधिकार का प्रयोग करने से चूके नहीं हैं। कहानी यहीं खत्म नहीं हो जाती है। बल्कि मताधिकारी इस बात का भी ध्यान रखते हैं की भरतदास ने जो वोट डाला है वो सुरक्शित रूप से गिनती के लिए पहुँच जाए। कोई भी अधिकारी इस अति महत्वपूर्ण मतदाता और उसके कीमती वोट के संबंध में किसी भी प्रकार की चूक की संभावना नहीं रखते हैं।
तो अगली बार जब आप चुनाव होने पर अपना मताधिकार का प्रयोग करने के लिए किसी लाइन में खड़े हों तो उस समय चुनाव आयोग के इस अति विशिष्ट मतदाता को ज़रूर याद कर लीजिएगा।