फिर भी

सनपेड़ा गांव में डॉ भीमराव अंबेडकर भवन की अज्ञात युवकों ने दीवार गिराई

सनपेड़ा गांव में डॉ भीमराव अंबेडकर भवन का निर्माण चल रहा था किसी अज्ञात युवकों ने रात में भवन की दीवार गिरा दी जैसे ही गांव वालों को पता चला सुबह कि भवन की दीवार गिराई हुई है इसे गांव में हड़कंप मच गया और पूरा दलित समाज इकट्ठा होकर इसके खिलाफ आवाज उठाई और बहुत ही रोष प्रकट किया यह दूसरे समाज के लोगों पर इसका शक किया गया है कि शायद एक दूसरे समाज के लोगों ने यह कदम उठाया है.

क्योंकि दलित समाज को कुछ दूसरा समाज बहुत ही हीन भावना से देखता है शायद दलित समाज ने इकट्ठा होकर आरोप लगाया है कि जिस भी अज्ञात युवकों ने यह काम किया है हम उसके लिए प्रशासन से गुहार लगाते हैं कि भविष्य में ऐसा ना हो दलित समाज डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को अपना आदर्श मानते हैं और उन्हें बहुत अच्छी तरह से सम्मान देते हैं और दलित समाज के लिए यह गर्व की बात है कि वह डॉक्टर साहब के दिखाए रास्ते पर चल रहे हैं.

जो उन्होंने समाज को शिक्षा दी समाज को बदलने की कोशिश की इसके लिए दलित समाज उनका सम्मान करता है और अपना लक्ष्य भी दलित समाज उनके बताए रास्ते पर चल रहा है अथार्थ कहने का भाव यह है कि जो दूसरे समाज के लोग इस समाज को हीन भावना से देखता है यह आगे जाकर के हिंदू धर्म के लिए बहुत ही विनाशकारी साबित हो सकता है क्योंकि आज के समय में हिंदू हिंदू आपस में लड़ रहा है और आपस में लड़ना ही विनाशकारी साबित हो सकता है.

दलित समाज के लोगों ने कहा है कि हम समाज में आप सही भाईचारे से रहना चाहते हैं और दूसरों को भी प्रेरित करते हैं कि सभी भाईचारे से रहे चाहे कोई हिंदू मुस्लिम सिख इसाई कोई भी हो सभी के साथ अपना भाईचारा है और भाईचारा ही देश के लिए विकास की बागडोर में हमेशा इकट्ठा होना चाहिए अगर हमारा साथ और आपसी भाईचारा ज्यादा मजबूत होगा तो हम देश के लिए कुछ भी कर सकते हैं और अगर भाईचारा भविष्य में बनता है.

तो हम देश के विकास में बहुत ज्यादा योगदान दे पाएंगे क्योंकि सबसे पहले भाईचारा ही होना चाहिए लोगों के अंदर किसी भी तरह का मनमुटाव नहीं होना चाहिए अगर मनमुटाव होगा तो उस देश के अंदर बाहर के व्यक्ति भी दखल अंदाजी दे कर के देश को गुलाम बनाने की सोच सकते हैं अगर हम सब एक होकर के रहेंगे तो किसी की भी हिम्मत नहीं होगी कि वह हमारे देश की तरफ आंख उठाकर भी देख सके और गुलामी की बात तो बहुत दूर की बात है.

दलित समाज ने हमेशा ही भाईचारे की बात कही है और भाईचारे से रहना चाहता है जिसमें देश के युवा साथी देश के विकास में बढ़ चढ़कर अपना साथ दें और अपने देश को विश्व शक्ति के रूप में प्रदर्शित करने के लिए देश के लिए काम करें.

[स्रोत- सहदेव]

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