फिर भी

आज मंज़िल की नीव रखी है, कल मंज़िल भी मिल जायेगी

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि कोई भी सफल इंसान ऐसेही सफल नहीं बनता न जाने कितनी मुश्किलों का सामना करते हुये भी, इंसान को हर हाल में अपनी दिशा से हटता नहीं होता है।

मंज़िल के रास्ते पर कभी-कभी दुनियाँ हमारी बातो को सुन्ना भी नहीं पसंद करती लेकिन जब इंसान कड़ी मेहनत कर सफल बन जाता है फिर ये ही दुनियाँ तुम्हे पसंद करना शुरू कर देती है और इस सफर में तुम्हे तुम्हारे अपनों की पहचान हो जाती है। दोस्तों याद रखना सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता।

अब आप इस कविता का आनंद ले.

आज मंज़िल की नीव रखी है,
कल मंज़िल भी मिल जायेगी।
तेरे आज के संघर्षो का हिसाब,
वो कल तुझे सफल बनाकर चुकायेंगी।
बस इन परीक्षाओं से टूट कर बिखर न जाना।
सीधे को तो कोई भी सुना देता,
ये ऐसा बैरी है ज़माना।
हर तुफानो से लड़कर,
तुझे आगे बस बढ़ते है जाना।
मंज़िल की चोटी के शिखर पर पहुँचकर,
तुझे सफलता का झंडा है फैराना।

आयेगा वो दिन भी,
जब हर कोई तेरी बातो को भी सुनना चाहेगा।
तेरा अति सुन्दर कोमल का स्वरुप,
हर जीव के मन को है भायेगा।
तेरी किस्मत का वाहन,
फिर तुझे शांति से इस दुनियाँ की सैर करवायेगा।

धन्यवाद।

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