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जो बेटियो को मार देते है, राजगढ़ के इस परिवार ने उनके मुँह पर मारा तमाचा

ये घटना है चूरू जिले की राजगढ़(सादुलपुर) तहसील की हैं। जिसमे एक दम्पति ने अपने घर बेटी होने पर वो उत्सव मनाया जो आज तक केवल हमारा समाज बेटे होने पर मनाता था। समाज मे इस नयी परम्परा के साथ-साथ बेटा बेटी का भेद भुला दिया।beti ke janm pr utsabहमारे समाज में आजतक जो बेटे के जन्मोत्सव की अवसर पर मनाया जाने वाला दसोटन राजगढ़(सादुलपुर) के रहने वाले मदनलाल गायत्री मोहता परिवार के लक्ष्मी देवी अरविन्द मोहता ने अपनी बेटी के जन्मोत्सव के अवसर पर मनाया और उन लोगो को एक सन्देश देने का प्रयास किया जो बेटी के जन्म होने पर अनुचित व्यवहार करने से नही चूकते है। और खास कर ये उन लोगो के मुँह पर एक तमाचे के समान लगा है, जिन्हें केवल बेटे पसन्द होते है और उन बेटो के लिए वो जन्म लेने वाली बेटियो को या तो गर्भ में मार देते है। या फिर जन्म के बाद उन्हें सड़क नालियों में फेंक कर चले जाते है।

सादुलपुर के वार्ड नबर 7 में रहने वाले लक्ष्मी देवी अरविन्द मोहता के पहले से तीन पुत्रियां है, और अब उनके घर एक और गुड़िया कृषिका ने जन्म ले लिया और उसी के जन्मोत्सव के अवसर पर ये उत्सव मनाया गया। 5 दिसम्बर को जन्मी कृषिका पौत्री होने पर दादा मदन लाल ने यह तय कर लिया कि इस पौत्री के जन्म पर पौत्र जन्म की तरह समारोह करेंगे। आवश्यक तैयारियां कर 14 दिसम्बर को न सिर्फ दशोटन की रस्म परम्पराओं का निर्वहन किया गया, बल्कि बेटियों दामाद तथा अन्य रिश्तेदारों को बुलवा कर भोज करते हुए सभी को बधाईयां भी दी।दादा तथा पिता ने यह भी कहा कि हमारे खानदान में बेटियों की संख्या पहले भी ज्यादा है। हम बेटियों की परवरिश भी बेटों की भांति करते आए हैं, मगर इस कृषिका बेटी की ऐसे परवरिश करेंगे कि यह सबसे अलग कुछ विशिष्ट व्यक्तित्व बन कर सभी को गौरवान्वित कर सके।

एक परिवार का अपनी बेटियों का इस प्रकार ख्याल रखना और उन्हें इस प्रकार प्रतोत्साहित करना उन लोगो के मुँह पर किसी तमाचे से कम नही है, जो अपनी बेटियों को गर्भ में या जन्म लेने के बाद मार देते है या फेक देते है।

[स्रोत- विनोद रुलानिया]

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