फिर भी

नहाए कोणी! बिंद बरात चढ़े! बिल्कुल ऐसी ही स्थिति वर्तमान राज व्यवस्था की

सूरतगढ स्थित 220 के वी,जी एस एस की मरम्मत कार्य के लिए शटडाउन लिया गया। सुबह से शाम पांच बजे तक श्री विजयनगर,अनूपगढ़ व घडसाना में विद्युत आपूर्ति रही बंद। बिजली उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ी। आम जन तक विद्युत आपूर्ति बंद रहने की जानकारी भी नहीं दी गई जिससे उपभोक्ता रहे दिनभर परेशान दिखाई रहे। aata chakki

ऐसी जानकारी सोशल मीडिया पर विभाग को अवश्य साझा करनी चाहिए ताकि आमजन परेशान न हो। क्योंकि आजकल लगभग सभी प्रकार के व्यवसाय विधुत पर निर्भर है और बिजली कटौती की वजह से सारा काम अस्तव्यस्त हो जाता। फिर चाहे पेयजल आपूर्ति हो, आतपिसाई की चिक्की हर कोई बिजली कटौती से परेशान हो रहा है एक अनुमान के मुताबिक आजकल बिजली विभाग की लापरवाही से हर दिन अघोषित विधुत कटौती की वजह से आमजन को मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है क्योंकि लगभग सभी लोग दैनिक जरूरत के हिसाब से भी विधुत पर अत्यधिक निर्भर ह विधुत विभाग की लापरवाही का सीधा संबंध ग्रामीण इलाकों के साथ शहरों पर पड़ता, क्योंकि एक से पांच घंटे बिजली कटौती के कारण शहरों और गाँव में आटा चक्की नहीं चलने के कारण ग़रीब के मुंह का निवाला भी छिन्न जाता है.बहुतहदतक दिहाड़ी मजदूर और अत्यंत निर्धन वर्ग जो दैनिक उपयोग का आटा चक्की से प्रतिदिन सुबह, शाम को लेकर खाता है और विघुट आपूर्ति ठप होने के कारण चक्कियों के बंद होने पर गरीब लोगों को प्रतिदिन जरूरत के हिसाब से नहीं मिल पाता तो उनका चूल्हा नहीं जलता, क्या एक गरीब के निवाले पर डाका डालने का भयंकर कारनामा यूँ ही चलेगा।

आखिर क्यों बिजली उपयोग करने वाले की समस्याओं को सुलझाने में सरकारी तंत्र नाकाम है जब हम नवीकरण ओर अन्य विकल्प उपलब्ध नहीं कर सकते,एक दिन बिजली आपूर्ति ठप्प हो जाना से गरीब लोगों के चूल्हे से लेकर बिजनेस मैन की आय तक अस्तव्यस्त हो जाता है उसका कोई विकल्प नहीं है और सरकार शौचलय, स्वच्छता, बूलेट ट्रेन और मंगल गृह पर कॉलोनी बसाने की बात करते हुए जरा भी संकोच नहीं करते हैं क्या जनता इस बात का जवाब कभी अपने जनप्रतिनिधियों से मांग पाएगी? क्या अपनी झेलनी पड़ी परेशानी का हिसाब चुकता कर पाएंगे, क्या मौके पर जनता अपनी दुर्गति करते हुए नेताओं सरकार तंत्र को उनकी गतिविधियों के असर का अहसास करवाएंगी?

स्रोत- सतनाम मांगट

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